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Translation of the Meanings of the Noble Qur'an - Hindi translation of Al-Mukhtsar in interpretation of the Noble Quran * - Translations’ Index


Translation of the meanings Surah: Al-Anbiyā’   Ayah:
وَكَمْ قَصَمْنَا مِنْ قَرْیَةٍ كَانَتْ ظَالِمَةً وَّاَنْشَاْنَا بَعْدَهَا قَوْمًا اٰخَرِیْنَ ۟
और कितनी ही बस्तियाँ ऐसी हैं, जिन्हें हमने उनके कुफ़्र के द्वारा अत्याचार करने के कारण नष्ट कर दिया और उनके बाद दूसरे लोगों को पैदा कर दिया।
Arabic explanations of the Qur’an:
فَلَمَّاۤ اَحَسُّوْا بَاْسَنَاۤ اِذَا هُمْ مِّنْهَا یَرْكُضُوْنَ ۟ؕ
चुनाँजे जब विनष्ट लोगों ने हमारी उन्मूलनकारी यातना को देखा, तो विनाश से बचने के लिए अपनी बस्ती से बहुत तेज़ी के साथ भागने लगे।
Arabic explanations of the Qur’an:
لَا تَرْكُضُوْا وَارْجِعُوْۤا اِلٰی مَاۤ اُتْرِفْتُمْ فِیْهِ وَمَسٰكِنِكُمْ لَعَلَّكُمْ تُسْـَٔلُوْنَ ۟
तो उनसे उपहास के तौर पर कहा जाएगा : भागो नहीं, और अपने उन सुखों की ओर जिनका तुम आनंद ले रहे थे, और अपने घरों की ओर लौट चलो, ताकि तुमसे तुम्हारी दुनिया के बारे में कुछ पूछा जाए।
Arabic explanations of the Qur’an:
قَالُوْا یٰوَیْلَنَاۤ اِنَّا كُنَّا ظٰلِمِیْنَ ۟
इन अत्याचारियों ने अपने पाप को स्वीकार करते हुए कहा : हाय हमारा विनाश और हमारा नुकसान! निश्चय हम अत्याचारी थे क्योंकि हम अल्लाह का इनकार करते थे।
Arabic explanations of the Qur’an:
فَمَا زَالَتْ تِّلْكَ دَعْوٰىهُمْ حَتّٰی جَعَلْنٰهُمْ حَصِیْدًا خٰمِدِیْنَ ۟
तो उनका अपने पाप को स्वीकार करना और अपने हक़ में विनाश की बद्-दुआ करना ही उनकी निरंतर पुकार रही, जिसे वे दोहराते रहे, यहाँ तक कि हमने उन्हें कटी हुई खेती की तरह, मरे हुए बना दिया, उनमें कोई हरकत नहीं थी।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَمَا خَلَقْنَا السَّمَآءَ وَالْاَرْضَ وَمَا بَیْنَهُمَا لٰعِبِیْنَ ۟
हमने आकाश और धरती तथा उन दोनों के बीच मौजूद चीज़ों को खेल-तमाशा के तौर पर और व्यर्थ नहीं बनाया, बल्कि हमने उन्हें अपनी शक्ति एवं सामर्थ्य के संकेत के रूप में बनाया है।
Arabic explanations of the Qur’an:
لَوْ اَرَدْنَاۤ اَنْ نَّتَّخِذَ لَهْوًا لَّاتَّخَذْنٰهُ مِنْ لَّدُنَّاۤ ۖۗ— اِنْ كُنَّا فٰعِلِیْنَ ۟
यदि हम पत्नी या पुत्र बनाना चाहते, तो निश्चय हम उसे उससे बना लेते जो हमारे पास है। हालाँकि हम ऐसा करने वाले नहीं हैं, क्योंकि हम इससे पवित्र हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
بَلْ نَقْذِفُ بِالْحَقِّ عَلَی الْبَاطِلِ فَیَدْمَغُهٗ فَاِذَا هُوَ زَاهِقٌ ؕ— وَلَكُمُ الْوَیْلُ مِمَّا تَصِفُوْنَ ۟
बल्कि हम उस सत्य को, जिसकी हम अपने रसूल की ओर वह़्य करते हैं, कुफ़्र वालों के असत्य पर फेंक मारते हैं, तो वह उसे खंडित कर देता है। फिर एकाएक उनका असत्य नष्ट-भ्रष्ट होने वाला होता है। और (ऐ अल्लाह के पत्नी और पुत्र बनाने का दावा करने वालो!) तुम्हारे लिए विनाश है, क्योंकि तुम अल्लाह को ऐसी चीज़ के साथ विशेषित करते हो, जो उसके लिए योग्य नहीं है।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَلَهٗ مَنْ فِی السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— وَمَنْ عِنْدَهٗ لَا یَسْتَكْبِرُوْنَ عَنْ عِبَادَتِهٖ وَلَا یَسْتَحْسِرُوْنَ ۟ۚ
तथा अकेले अल्लाह ही के लिए आकाशों और धरती का राज्य है। और उसके पास जो फ़रिश्ते हैं, उसकी इबादत से अभिमान नहीं करते और न ही वे उससे थकते हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
یُسَبِّحُوْنَ الَّیْلَ وَالنَّهَارَ لَا یَفْتُرُوْنَ ۟
वे हमेशा अल्लाह की पवित्रता का गान करते हैं। उससे उकताते नहीं हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
اَمِ اتَّخَذُوْۤا اٰلِهَةً مِّنَ الْاَرْضِ هُمْ یُنْشِرُوْنَ ۟
बल्कि मुश्रिकों ने अल्लाह के अलावा ऐसे पूज्य बना लिए हैं, जो मरे हुए लोगों को ज़िंदा नहीं कर सकते। तो फिर वे इससे असमर्थ की पूजा कैसे करते हैं?!
Arabic explanations of the Qur’an:
لَوْ كَانَ فِیْهِمَاۤ اٰلِهَةٌ اِلَّا اللّٰهُ لَفَسَدَتَا ۚ— فَسُبْحٰنَ اللّٰهِ رَبِّ الْعَرْشِ عَمَّا یَصِفُوْنَ ۟
यदि आकाशों और धरती में अल्लाह के अलावा कई पूज्य होते, तो राज्य (प्रभुत्व) को लेकर पूज्यों के बीच विवाद (संघर्ष) के कारण दोनों नष्ट-भ्रष्ट हो जाते। जबकि वस्तुस्थिति इसके विपरीत है। इसलिए, अर्श का मालिक अल्लाह उससे पवित्र है, जो मुश्रिक लोग झूठे तरीक़े से उसके बारे में वर्णन करते हैं कि उसके कोई साझेदार हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
لَا یُسْـَٔلُ عَمَّا یَفْعَلُ وَهُمْ یُسْـَٔلُوْنَ ۟
अल्लाह अपने राज्य और निर्णय में अकेला है। उसके किसी फ़ैसले और निर्णय के बारे में कोई उससे पूछ नहीं सकता। जबकि वह अपने बंदों से उनके कार्यों के बारे में पूछेगा और उन्हें उनके कर्मों का बदला देगा।
Arabic explanations of the Qur’an:
اَمِ اتَّخَذُوْا مِنْ دُوْنِهٖۤ اٰلِهَةً ؕ— قُلْ هَاتُوْا بُرْهَانَكُمْ ۚ— هٰذَا ذِكْرُ مَنْ مَّعِیَ وَذِكْرُ مَنْ قَبْلِیْ ؕ— بَلْ اَكْثَرُهُمْ لَا یَعْلَمُوْنَ ۙ— الْحَقَّ فَهُمْ مُّعْرِضُوْنَ ۟
बल्कि उन्होंने अल्लाह के अलावा कई पूज्य बना लिए हैं। (ऐ रसूल!) आप इन मुश्रिकों से कह दें : तुम इनके पूजा के योग्य होने पर अपना प्रमाण प्रस्तुत करो। क्योंकि मुझपर उतरने वाली इस किताब (क़ुरआन) और पिछले रसूलों पर उतरने वाली किताबों में तुम्हारे लिए कोई प्रमाण नहीं है। बल्कि असल बात यह है कि अधिकांश मुश्रिक केवल अज्ञानता और बाप-दादों के अनुकरण पर भरोसा करते हैं। अतः वे सत्य को स्वीकार करने से मुँह फेरने वाले हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• الظلم سبب في الهلاك على مستوى الأفراد والجماعات.
• अत्याचार, व्यक्तियों और समूहों के स्तर पर विनाश का एक कारण है।

• ما خلق الله شيئًا عبثًا؛ لأنه سبحانه مُنَزَّه عن العبث.
• अल्लाह ने कुछ भी व्यर्थ नहीं बनाया; क्योंकि वह महिमावान व्यर्थता से पाक है।

• غلبة الحق، ودحر الباطل سُنَّة إلهية.
• सत्य का प्रभुत्व और असत्य को परास्त करना, एक ईश्वरीय नियम है।

• إبطال عقيدة الشرك بدليل التَّمَانُع.
• शिर्क के अक़ीदे का दलील -ए- तमानु (एक तर्कसंगत प्रमाण) द्वारा खंडन। (जिसका मतलब यह है कि यदि इस ब्रह्मांड में एक से अधिक पूज्य होते, तो वे एक-दूसरे के कार्य में हस्तक्षेप करते और ब्रह्मांड का संतुलन बिगड़ जाता। चूँकि हम इस ब्रह्मांड में कोई असंतुलन या दोष नहीं देखते, तो इसका आवश्यक अर्थ यह हुआ कि इस ब्रह्मांड में केवल एक ही पूज्य है।

 
Translation of the meanings Surah: Al-Anbiyā’
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Issued by Tafsir Center for Quranic Studies

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