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ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߌߡߎ߬ߙߊ߲߬ ߞߐߙߍ   ߟߝߊߙߌ ߘߏ߫:
یٰۤاَهْلَ الْكِتٰبِ لِمَ تَلْبِسُوْنَ الْحَقَّ بِالْبَاطِلِ وَتَكْتُمُوْنَ الْحَقَّ وَاَنْتُمْ تَعْلَمُوْنَ ۟۠
ऐ किताब वालो! तुम अपनी किताबों में उतारी गई सच्चाई को अपने पास से झूठ के साथ क्यों गड्डमड्ड करते हो, तथा जो कुछ उनमें सच्चाई और मार्गदर्शन है उन्हें छिपाते हो, जिनमें मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के सच्चे नबी होने की बात भी शामिल है, जबकि तुम सत्य को असत्य से और मार्गदर्शन को पथभ्रष्टता से जानते हो?!
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وَقَالَتْ طَّآىِٕفَةٌ مِّنْ اَهْلِ الْكِتٰبِ اٰمِنُوْا بِالَّذِیْۤ اُنْزِلَ عَلَی الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَجْهَ النَّهَارِ وَاكْفُرُوْۤا اٰخِرَهٗ لَعَلَّهُمْ یَرْجِعُوْنَ ۟ۚۖ
यहूदी विद्वानों के एक समूह ने कहा : तुम बाहरी रूप से दिन की शुरुआत में उस क़ुरआन पर ईमान लाओ जो मोमिनों पर उतारा गया है और उसके अंत में उसका इनकार कर दो। हो सकता है कि वे तुम्हारे ईमान लाने के पश्चात उसका इनकार करने के कारण अपने धर्म पर संदेह करने लगें, फिर यह कहते हुए उससे वापस लौट आएँ : वे लोग अल्लाह की पुस्तकों के बारे में हमसे अधिक जानकार हैं, और वे उससे पलट गए हैं।
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وَلَا تُؤْمِنُوْۤا اِلَّا لِمَنْ تَبِعَ دِیْنَكُمْ ؕ— قُلْ اِنَّ الْهُدٰی هُدَی اللّٰهِ ۙ— اَنْ یُّؤْتٰۤی اَحَدٌ مِّثْلَ مَاۤ اُوْتِیْتُمْ اَوْ یُحَآجُّوْكُمْ عِنْدَ رَبِّكُمْ ؕ— قُلْ اِنَّ الْفَضْلَ بِیَدِ اللّٰهِ ۚ— یُؤْتِیْهِ مَنْ یَّشَآءُ ؕ— وَاللّٰهُ وَاسِعٌ عَلِیْمٌ ۟ۚۙ
उन्होंने यह भी कहा : तुम केवल उसी को सत्य मानो, जो तुम्हारे धर्म का अनुयायी है। (ऐ रसूल!) आप कह दें : सत्य की ओर मार्गदर्शन तो केवल अल्लाह का मार्गदर्शन है। न कि तुम्हारे इनकार और हठ का रास्ता। इस डर से कि किसी को उतना अनुग्रह प्राप्त हो जाए जितना कि तुम्हें दिया गया है, या इस डर से कि वे तुम्हारे पालनहार के पास तुमसे बहस करेंगे यदि तुमने उसको स्वीकार कर लिया जो उनपर उतारा गया है। (ऐ रसूल!) आप कह दें : नि:संदेह सब अनुग्रह अल्लाह के हाथ में है, वह अपने बंदों में से जिसे चाहता है, उसे प्रदान करता है। उसका अनुग्रह एक समुदाय को छोड़कर किसी दूसरे समुदाय तक सीमित नहीं है। और अल्लाह बहुत विशाल अनुग्रह वाला है और जानता है कि कौन इसके योग्य है।
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یَّخْتَصُّ بِرَحْمَتِهٖ مَنْ یَّشَآءُ ؕ— وَاللّٰهُ ذُو الْفَضْلِ الْعَظِیْمِ ۟
वह अपनी सृष्टि में से जिसे चाहता है, अपनी दया के लिए विशिष्ट कर लेता है और उसे मार्गदर्शन, नुबुव्वत (ईश्दूतत्व) और अनेक प्रकार के उपहारों से सम्मानित करता है। और अल्लाह महान अनुग्रह वाला है जिसकी कोई सीमा नहीं है।
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وَمِنْ اَهْلِ الْكِتٰبِ مَنْ اِنْ تَاْمَنْهُ بِقِنْطَارٍ یُّؤَدِّهٖۤ اِلَیْكَ ۚ— وَمِنْهُمْ مَّنْ اِنْ تَاْمَنْهُ بِدِیْنَارٍ لَّا یُؤَدِّهٖۤ اِلَیْكَ اِلَّا مَا دُمْتَ عَلَیْهِ قَآىِٕمًا ؕ— ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ قَالُوْا لَیْسَ عَلَیْنَا فِی الْاُمِّیّٖنَ سَبِیْلٌ ۚ— وَیَقُوْلُوْنَ عَلَی اللّٰهِ الْكَذِبَ وَهُمْ یَعْلَمُوْنَ ۟
और किताब वालों में ऐसा व्यक्ति भी मौजूद है कि यदि तुम उसके पास ढेर सारा धन अमानत रख दो, तो वह तुम्हें वह अमानत लौटा देगा। और उनमें ऐसा आदमी भी मौजूद है कि यदि तुम उसके पास थोड़ा-सा माल भी अमानत रख दो, वह तुम्हें वह अमानत वापस नहीं करेगा, जब तक कि तुम उससे निरंतर आग्रह और तक़ाज़ा न करते रहो। इसका कारण उनका यह कहना और उनका भ्रष्ट विश्वास है कि : अरबों के विषय में और उनका माल खाने में हमपर कोई पाप नहीं है; क्योंकि अल्लाह ने हमारे लिए उसे वैध किया है।" वे यह झूठ बोलते हैं, जबकि उन्हें मालूम है कि वे अल्लाह पर झूठा आरोप लगा रहे हैं।
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بَلٰی مَنْ اَوْفٰی بِعَهْدِهٖ وَاتَّقٰی فَاِنَّ اللّٰهَ یُحِبُّ الْمُتَّقِیْنَ ۟
मामला वैसा नहीं है, जैसा उन लोगों का दावा है, बल्कि उन्हें गुनाह होगा। लेकिन जो व्यक्ति अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाने के अपने वादे को पूरा करे तथा लोगों के साथ अपने वादे को पूरा करे और अमानत अदा कर दे तथा अल्लाह से उसके आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर डरे; तो निश्चय अल्लाह डरने वालों से प्रेम करता है और उन्हें इसका सबसे अच्छा प्रतिफल देगा।
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اِنَّ الَّذِیْنَ یَشْتَرُوْنَ بِعَهْدِ اللّٰهِ وَاَیْمَانِهِمْ ثَمَنًا قَلِیْلًا اُولٰٓىِٕكَ لَا خَلَاقَ لَهُمْ فِی الْاٰخِرَةِ وَلَا یُكَلِّمُهُمُ اللّٰهُ وَلَا یَنْظُرُ اِلَیْهِمْ یَوْمَ الْقِیٰمَةِ وَلَا یُزَكِّیْهِمْ ۪— وَلَهُمْ عَذَابٌ اَلِیْمٌ ۟
जो लोग अल्लाह की, अपनी पुस्तक में उतारी हुई और अपने रसूलों के साथ भेजी हुई शिक्षाओं का पालन करने की वसीयत को तथा अपनी उन क़समों को जो उन्होंने अल्लाह की प्रतिज्ञा को पूरा करने की खाई हैं, बदल देते हैं और उनके बदले थोड़ी मात्रा में सांसारिक वस्तुएँ ले लेते हैं; उनके लिए आख़िरत के सवाब (प्रतिफल) से कोई हिस्सा नहीं। तथा अल्लाह क़ियामत के दिन उनसे ऐसी बात नहीं करेगा जिससे उन्हें प्रसन्नता हो, उनकी ओर दया की दृष्टि से नहीं देखेगा और उन्हें उनके पापों और कुफ़्र की अशुद्धता से पाक नहीं करेगा। तथा उनके लिए दर्दनाक यातना है।
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ߟߝߊߙߌ ߟߎ߫ ߢߊ߬ߕߣߐ ߘߏ߫ ߞߐߜߍ ߣߌ߲߬ ߞߊ߲߬:
• من علماء أهل الكتاب من يخدع أتباع ملتهم، ولا يبين لهم الحق الذي دلت عليه كتبهم، وجاءت به رسلهم.
• अह्ले किताब के विद्वानों में कुछ ऐसे हैं, जो अपने धर्म के अनुयायियों को धोखा देते हैं, और उन्हें वह सच्चाई नहीं बताते हैं, जो उनकी किताबों से पता चलती है और जो उनके रसूल लाए थे।

• من وسائل الكفار الدخول في الدين والتشكيك فيه من الداخل.
• काफ़िरों का एक साधन धर्म में प्रवेश करना और भीतर से उसमें संदेह पैदा करना है।

• الله تعالى هو الوهاب المتفضل، يعطي من يشاء بفضله، ويمنع من يشاء بعدله وحكمته، ولا ينال فضله إلا بطاعته.
• अल्लाह तआला ही 'वह्हाब' (परम प्रदाता) एवं अनुग्रहशील है। वह अपनी कृपा से जिसे चाहता है, देता है तथा वह जिसे चाहता है, अपने न्याय एवं हिकमत से रोक देता है। और उसकी कृपा उसकी आज्ञा मानने ही से प्राप्त की जा सकती है।

• كل عِوَضٍ في الدنيا عن الإيمان بالله والوفاء بعهده - وإن كان عظيمًا - فهو قليل حقير أمام ثواب الآخرة ومنازلها.
• अल्लाह पर ईमान और उसकी प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिए इस दुनिया में प्राप्त होने वाला हर बदला - भले ही वह बहुत बड़ा हो - आख़िरत के प्रतिफल और उसके दर्जों के सामने थोड़ा और तुच्छ है।

 
ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߌߡߎ߬ߙߊ߲߬ ߞߐߙߍ
ߝߐߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ ߞߐߜߍ ߝߙߍߕߍ
 
ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߟߊߘߛߏߣߍ߲" ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐߦߌߘߊ ߘߐ߫ ߤߌߣߘߌߞߊ߲ ߘߐ߫ - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ

ߡߍ߲ ߝߘߊߣߍ߲߫ ߞߎ߬ߙߊ߬ߣߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߕߌߙߌ߲ߠߌ߲ ߝߊ߲ߓߊ ߟߊ߫

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