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Translation of the Meanings of the Noble Qur'an - Hindi translation of Al-Mukhtsar in interpretation of the Noble Quran * - Translations’ Index


Translation of the meanings Surah: Al-Mā’idah   Ayah:

अल्-माइदा

Purposes of the Surah:
الأمر بالوفاء بالعقود، والتحذير من مشابهة أهل الكتاب في نقضها.
अनुबंधों को पूरा करने का आदेश, और उन्हें तोड़ने में किताब के लोगों (यानी यहूदियों एवं ईसाइयों) के समान होने के ख़िलाफ़ चेतावनी।

یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اَوْفُوْا بِالْعُقُوْدِ ؕ۬— اُحِلَّتْ لَكُمْ بَهِیْمَةُ الْاَنْعَامِ اِلَّا مَا یُتْلٰی عَلَیْكُمْ غَیْرَ مُحِلِّی الصَّیْدِ وَاَنْتُمْ حُرُمٌ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ یَحْكُمُ مَا یُرِیْدُ ۟
ऐ ईमान वालो! तुम उन सभी वचनों एवं प्रतिज्ञाओं को पूरा करो, जो तुमने अपने और अपने स्रष्टा के बीच तथा अपने और उसकी रचना के बीच किए हैं। अल्लाह ने तुमपर दया करते हुए तुम्हारे लिए पशुधन : (ऊँट, गाय तथा बकरी) को हलाल किया है, सिवाय उन जानवरों के जिनका हराम होना तुम्हें पढ़कर सुनाया जाएगा। इसके अतिरिक्त हज्ज या उम्रा का एहराम बाँधे होने की स्थिति में तुमपर जंगली जानवरों का शिकार करना भी हराम है। अल्लाह अपनी हिकमत के अनुसार जो चाहता है हलाल या हराम होने का फैसला करता है। क्योंकि उसे कोई बाध्य करने वाला नहीं और न ही कोई उसके हुक्म पर आपत्ति कर सकता है।
Arabic explanations of the Qur’an:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا لَا تُحِلُّوْا شَعَآىِٕرَ اللّٰهِ وَلَا الشَّهْرَ الْحَرَامَ وَلَا الْهَدْیَ وَلَا الْقَلَآىِٕدَ وَلَاۤ آٰمِّیْنَ الْبَیْتَ الْحَرَامَ یَبْتَغُوْنَ فَضْلًا مِّنْ رَّبِّهِمْ وَرِضْوَانًا ؕ— وَاِذَا حَلَلْتُمْ فَاصْطَادُوْا ؕ— وَلَا یَجْرِمَنَّكُمْ شَنَاٰنُ قَوْمٍ اَنْ صَدُّوْكُمْ عَنِ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِ اَنْ تَعْتَدُوْا ۘ— وَتَعَاوَنُوْا عَلَی الْبِرِّ وَالتَّقْوٰی ۪— وَلَا تَعَاوَنُوْا عَلَی الْاِثْمِ وَالْعُدْوَانِ ۪— وَاتَّقُوا اللّٰهَ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ شَدِیْدُ الْعِقَابِ ۟
ऐ ईमान वालो! अल्लाह की उन हुर्मत वाली (सम्मानित) चीज़ों का अनादर न करो, जिनके सम्मान का उसने तुम्हें आदेश दिया है, तथा एहराम की अवस्था में निषिद्ध चीज़ों : जैसे सिले हुए कपड़े पहनने, तथा 'हरम' (की सीमा) के अंदर निषिद्ध चीज़ों, जैसे कि शिकार करने से दूर रहो। तथा सम्मानित महीनों अर्थात् ज़ुल-क़ादा, ज़ुल-ह़िज्जा, मुहर्रम और रजब में युद्ध को वैध न ठहराओ। जिन जानवरों को अल्लाह के नाम पर ज़बह करने के लिए हरम भेजा जाता है, उन्हें हथियाकर या उन्हें काबा जाने से रोककर उनका अनादर न करो। उन जानवरों का भी अपमान न करो, जिनके गले पर ऊन आदि के पट्टे डाले गए हों, ताकि पता चल जाए कि वे (हज्ज की) क़ुर्बानी के जानवर हैं। तथा उन लोगों का भी अनादर न करो, जो व्यापार के लाभ और अल्लाह की प्रसन्नता की तलाश में अल्लाह के सम्मानित घर की ओर जाते हैं। और जब तुम ह़ज्ज या उम्रा के एहराम से हलाल हो जाओ और हरम की सीमा से बाहर निकल जाओ, तो यदि चाहो तो शिकार करो। तथा जिन लोगों ने तुम्हें मस्जिदे-ह़राम से रोका है, उनसे दुश्मनी तुम्हें अत्याचार करने और उनके साथ न्याय करना छोड़ देने पर न उभारे। तथा (ऐ मोमिनो!) अल्लाह के आदेशों का पालन करने और उसके निषेधों से बचने में एक-दूसरे का सहयोग करो। और उन पापों में जिनका करने वाला गुनहगार होता है, तथा लोगों पर उनके खून, धन और सतीत्व के संबंध में ज़्यादती (आक्रमण) करने में सहयोग न करो। तथा अल्लाह की आज्ञाकारिता पर अडिग रहकर और उसकी अवज्ञा से दूर रहकर, उससे डरो। निःसंदेह अल्लाह उसे कठोर दंड देने वाला है जो उसकी अवज्ञा करने वाला है। इसलिए उसकी सज़ा से सावधान रहो।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• عناية الله بجميع أحوال الورثة في تقسيم الميراث عليهم.
• अल्लाह ने वारिसों पर विरासत को विभाजित करने में उनकी सभी परिस्थितियों का ख़याल रखा है।

• الأصل هو حِلُّ الأكل من كل بهيمة الأنعام، سوى ما خصه الدليل بالتحريم، أو ما كان صيدًا يعرض للمحرم في حجه أو عمرته.
• मूल सिद्धांत यह है कि सभी पशुओं में से खाने की अनुमति है, सिवाय उसके जिसे शरई प्रमाण ने हराम ठहराया हो, या वह शिकार जो हज्ज या उम्रा के दौरान मोहरिम के समक्ष आ जाए।

• النهي عن استحلال المحرَّمات، ومنها: محظورات الإحرام، والصيد في الحرم، والقتال في الأشهر الحُرُم، واستحلال الهدي بغصب ونحوه، أو مَنْع وصوله إلى محله.
• निषिद्ध चीजों को हलाल ठहराने से निषेध, जिनमें : एहराम की स्थिति में निषिद्ध चीज़ें, हरम की सीमा में शिकार करना, निषिद्ध (सम्मानित) महीनों में लड़ाई करना, तथा हज्ज की क़ुर्बानी के जानवर का, उसपर जबरन क़ब्ज़ा करके, या उसके ज़बह होने की जगह तक पहुँचने से रोककर अनादर करना, शामिल है।

 
Translation of the meanings Surah: Al-Mā’idah
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Issued by Tafsir Center for Quranic Studies

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