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د قرآن کریم د معناګانو ژباړه - هندي ژبې ته د المختصر في تفسیر القرآن الکریم ژباړه. * - د ژباړو فهرست (لړلیک)


د معناګانو ژباړه سورت: اسراء   آیت:
عَسٰی رَبُّكُمْ اَنْ یَّرْحَمَكُمْ ۚ— وَاِنْ عُدْتُّمْ عُدْنَا ۘ— وَجَعَلْنَا جَهَنَّمَ لِلْكٰفِرِیْنَ حَصِیْرًا ۟
ऐ बनी इसराईल! यदि तुम तौबा करो और अच्छे कार्य करो, तो संभव है कि तुम्हारा पालनहार इस कठोर प्रतिशोध के बाद भी तुमपर दया करे। और अगर तुमने तीसरी बार या उसके बाद भी उत्पात मचाया, तो हम भी तुमसे प्रतिशोध लेने के लिए लौट आएँगे, तथा हमने जहन्नम को अल्लाह का इनकार करने वालों का बिस्तर और बिछौना (ठिकाना) बना दिया है, जिससे वे छुटकारा नहीं पा सकते।
عربي تفسیرونه:
اِنَّ هٰذَا الْقُرْاٰنَ یَهْدِیْ لِلَّتِیْ هِیَ اَقْوَمُ وَیُبَشِّرُ الْمُؤْمِنِیْنَ الَّذِیْنَ یَعْمَلُوْنَ الصّٰلِحٰتِ اَنَّ لَهُمْ اَجْرًا كَبِیْرًا ۟ۙ
मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर उतरने वाला यह क़ुरआन सबसे अच्छा रास्ता बताता है और वह इस्लाम का रास्ता है। तथा अच्छे कर्म करने वाले मोमिनों को उस चीज़ की सूचना देता है जो उन्हें प्रसन्न कर देती है और वह यह है कि उनके लिए अल्लाह की ओर से बहुत बड़ा प्रतिफल है।
عربي تفسیرونه:
وَّاَنَّ الَّذِیْنَ لَا یُؤْمِنُوْنَ بِالْاٰخِرَةِ اَعْتَدْنَا لَهُمْ عَذَابًا اَلِیْمًا ۟۠
तथा क़ियामत पर ईमान न रखने वालों को उस चीज़ की सूचना देता है, जो उन्हें बुरी लगती है और वह यह है कि हमने उनके लिए क़ियामत के दिन दर्दनाक यातना तैयार कर रखी है।
عربي تفسیرونه:
وَیَدْعُ الْاِنْسَانُ بِالشَّرِّ دُعَآءَهٗ بِالْخَیْرِ ؕ— وَكَانَ الْاِنْسَانُ عَجُوْلًا ۟
तथा इनसान, अपनी अज्ञानता के कारण, क्रोध में आकर अपने आप पर तथा अपनी संतान और धन पर बद्दुआ (बुरी चीज़ों की दुआ) करने लगता है, जिस तरह कि वह अपने लिए भलाई की दुआ करता है। यदि हम उसकी बुराई की दुआ क़बूल कर लें, तो वह बर्बाद हो जाए और उसका धन एवं संतान नष्ट हो जाएँ। और मनुष्य जन्मजात जल्दबाज़ प्रकृति का है। इसलिए कभी-कभी वह उस चीज़ के लिए जल्दी करने लगता है, जो उसके लिए हानिकारक होती है।
عربي تفسیرونه:
وَجَعَلْنَا الَّیْلَ وَالنَّهَارَ اٰیَتَیْنِ فَمَحَوْنَاۤ اٰیَةَ الَّیْلِ وَجَعَلْنَاۤ اٰیَةَ النَّهَارِ مُبْصِرَةً لِّتَبْتَغُوْا فَضْلًا مِّنْ رَّبِّكُمْ وَلِتَعْلَمُوْا عَدَدَ السِّنِیْنَ وَالْحِسَابَ ؕ— وَكُلَّ شَیْءٍ فَصَّلْنٰهُ تَفْصِیْلًا ۟
हमने रात और दिन को अल्लाह के एकेश्वरवाद और उसकी शक्ति को दर्शाने वाली दो निशानियाँ बनाई हैं। क्योंकि वे दोनों लंबाई एवं लघुता तथा गर्मी और ठंढक में भिन्न होते हैं। अतः हमने रात को आराम करने और सोने के लिए अंधकारमय कर दिया, तथा दिन को प्रकाशमान बनाया, ताकि तुम अल्लाह की उस रोज़ी को ढूंढ़ सको, जो उसने अपने अनुग्रह से तुम्हारे लिए नियत की है, और ताकि तुम उनके आने-जाने से वर्षों की गिनती जान सको, तथा महीनों, दिनों और घंटों के समय की गणना के संदर्भ में तुम्हारी आवश्यकता पूरी हो सके। और हमने प्रत्येक वस्तु को स्पष्ट रूप से बयान कर दिया है ताकि चीज़ों की अलग-अलग पहचान हो सके और सत्यनिष्ठ, झूठे से स्पष्ट हो जाए।
عربي تفسیرونه:
وَكُلَّ اِنْسَانٍ اَلْزَمْنٰهُ طٰٓىِٕرَهٗ فِیْ عُنُقِهٖ ؕ— وَنُخْرِجُ لَهٗ یَوْمَ الْقِیٰمَةِ كِتٰبًا یَّلْقٰىهُ مَنْشُوْرًا ۟
और हमने हर इनसान के कर्म को उससे ऐसे ही संबद्ध कर दिया है, जैसे हार गले से लगा रहता है। जब तक उसका हिसाब नहीं हो जाता, तब तक वह (कर्म) उससे अलग नहीं होगा। तथा क़ियामत के दिन हम उसके लिए एक पुस्तक निकालेंगे जिसमें उसके सारे अच्छे और बुरे कार्य दर्ज होंगे। वह उसे अपने सामने खुली हुई पाएगा।
عربي تفسیرونه:
اِقْرَاْ كِتٰبَكَ ؕ— كَفٰی بِنَفْسِكَ الْیَوْمَ عَلَیْكَ حَسِیْبًا ۟ؕ
हम उस दिन उससे कहेंगे : - ऐ इनसान! - तू अपनी किताब पढ़ और अपने कर्मों का अपना हिसाब स्वयं कर। क़ियामत के दिन तू अपना हिसाब करने के लिए खुद काफी है।
عربي تفسیرونه:
مَنِ اهْتَدٰی فَاِنَّمَا یَهْتَدِیْ لِنَفْسِهٖ ۚ— وَمَنْ ضَلَّ فَاِنَّمَا یَضِلُّ عَلَیْهَا ؕ— وَلَا تَزِرُ وَازِرَةٌ وِّزْرَ اُخْرٰی ؕ— وَمَا كُنَّا مُعَذِّبِیْنَ حَتّٰی نَبْعَثَ رَسُوْلًا ۟
जिसे ईमान की ओर मार्गदर्शन प्राप्त हो गया, तो उसके मार्गदर्शन का प्रतिफल उसी के लिए है। और जो ईमान के मार्ग से भटक गया, तो उसके गुमराह होने की सज़ा उसे ही मिलेगी। तथा कोई प्राणी दूसरे प्राणी के पाप का बोझ नहीं उठाएगा। और हम किसी समुदाय को उस समय तक यातना नहीं देते, जब तक कि हम उनकी ओर रसूल भेजकर उनपर तर्क स्थापित न कर दें।
عربي تفسیرونه:
وَاِذَاۤ اَرَدْنَاۤ اَنْ نُّهْلِكَ قَرْیَةً اَمَرْنَا مُتْرَفِیْهَا فَفَسَقُوْا فِیْهَا فَحَقَّ عَلَیْهَا الْقَوْلُ فَدَمَّرْنٰهَا تَدْمِیْرًا ۟
और जब हम किसी बस्ती को उसके अत्याचार के कारण विनष्ट करना चाहते हैं, तो उन लोगों को आज्ञाकारिता का आदेश देते हैं, जिन्हें नेमतों ने सरकश व अभिमानी बना दिया होता है, तो वे बात नहीं मानते। बल्कि अवहेलना और अवज्ञा का रवैया अपनाते हैं। फिर उनपर विनाशकारी यातना की बात सिद्ध हो जाती है, तो हम उन्हें समूल विनष्ट कर देते हैं।
عربي تفسیرونه:
وَكَمْ اَهْلَكْنَا مِنَ الْقُرُوْنِ مِنْ بَعْدِ نُوْحٍ ؕ— وَكَفٰی بِرَبِّكَ بِذُنُوْبِ عِبَادِهٖ خَبِیْرًا بَصِیْرًا ۟
और कितने ही झुठलाने वाले समुदाय हैं, जिन्हें हमने नूह़ अलैहिस्सलाम के बाद विनष्ट कर दिया, जैसे आद और समूद। और - ऐ रसूल! - आपका पालनहार अपने बंदों के पापों की खबर रखने और देखने के लिए काफी है। उससे इनमें से कोई भी चीज़ छिपी नहीं है और वह उन्हें उनका बदला देगा।
عربي تفسیرونه:
په دې مخ کې د ایتونو د فایدو څخه:
• من اهتدى بهدي القرآن كان أكمل الناس وأقومهم وأهداهم في جميع أموره.
• जो व्यक्ति क़ुरआन के द्वारा मार्गदर्शन प्राप्त करता है, वह लोगों में सबसे पूर्ण, सबसे उत्तम और अपने सभी मामलों में सबसे अधिक हिदायत वाला है।

• التحذير من الدعوة على النفس والأولاد بالشر.
• स्वयं पर तथा संतान पर बद्दुआ करने से सावधान करना।

• اختلاف الليل والنهار بالزيادة والنقص وتعاقبهما، وضوء النهار وظلمة الليل، كل ذلك دليل على وحدانية الله ووجوده وكمال علمه وقدرته.
• रात और दिन का घटना और बढ़ना तथा उनका एक-दूसरे के बाद आना, दिन का उजाला और रात का अंधेरा, यह सब अल्लाह की एकता, उसके अस्तित्व तथा उसके ज्ञान एवं शक्ति की पूर्णता के प्रमाण हैं।

• تقرر الآيات مبدأ المسؤولية الشخصية، عدلًا من الله ورحمة بعباده.
• अल्लाह की ओर से न्याय और उसके अपने बंदों पर दया के तौर पर, ये आयतें व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी के सिद्धांत को स्थापित करती हैं।

 
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