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ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߛߞߎ߬ߦߊ߬ߟߊ ߟߎ߬   ߟߝߊߙߌ ߘߏ߫:
وَاتَّقُوا الَّذِیْ خَلَقَكُمْ وَالْجِبِلَّةَ الْاَوَّلِیْنَ ۟ؕ
तथा उस अस्तित्व से भय खाते हुए तक़वा धारण करो, जिसने तुमको तथा पहले के समुदायों को पैदा किया है कि कहीं वह तुमपर अपनी यातना न भेज दे।
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قَالُوْۤا اِنَّمَاۤ اَنْتَ مِنَ الْمُسَحَّرِیْنَ ۟ۙ
शुऐब की जाति ने शुऐब अलैहिस्सलाम से कहा : तुम तो बस उन लोगों में से हो जिनपर बार-बार जादू किया गया है, यहाँ तक कि जादू तुम्हारे दिमाग पर हावी हो गया है तथा उसे गायब (निष्क्रिय) कर दिया है।
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وَمَاۤ اَنْتَ اِلَّا بَشَرٌ مِّثْلُنَا وَاِنْ نَّظُنُّكَ لَمِنَ الْكٰذِبِیْنَ ۟ۚ
तथा तू तो हमारे ही जैसा एक साधारण इनसान है। इसलिए तुझे हमपर कोइ श्रेष्ठता प्राप्त नहीं है। फिर तू रसूल कैसे हो सकता है? और तू जो यह रसूल होने का दावा कर रहा है, इसमें हम तुझे झूठा समझते हैं।
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فَاَسْقِطْ عَلَیْنَا كِسَفًا مِّنَ السَّمَآءِ اِنْ كُنْتَ مِنَ الصّٰدِقِیْنَ ۟ؕ
यदि तू अपने दावे में सच्चा है, तो हमपर आसमान से कोई टुकड़ा गिरा दे।
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قَالَ رَبِّیْۤ اَعْلَمُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ ۟
शुऐब ने उनसे कहा : मेरा रब अधिक जानने वाला है, जो कुछ तुम शिर्क और पाप कर रहे हो, उससे तुम्हारे कर्मों में से कुछ भी छिपा नहीं है।
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فَكَذَّبُوْهُ فَاَخَذَهُمْ عَذَابُ یَوْمِ الظُّلَّةِ ؕ— اِنَّهٗ كَانَ عَذَابَ یَوْمٍ عَظِیْمٍ ۟
चुनाँचे वे शुऐब अलैहिस्सलाम को झुठलाते रहे, तो उनपर एक बड़ी यातना आ पड़ी।एक भीषण गरमी वाले दिन के बाद, उनपर बादल छा गया, फिर उनपर आग बरसाकर उन्हें जला दिया। निश्चय उनके विनाश का दिन बड़े भय का दिन था।
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اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیَةً ؕ— وَمَا كَانَ اَكْثَرُهُمْ مُّؤْمِنِیْنَ ۟
निश्चय शुऐब अलैहिस्सलाम की जाति के उपर्युक्त विनाश में सीख ग्रहण करने वालों के लिए बड़ी सीख है। और उनमें से अधिकांश लोग ईमान वाले नहीं थे।
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وَاِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِیْزُ الرَّحِیْمُ ۟۠
और निःसंदेह (ऐ रसूल!) आपका पालनहार ही वह प्रभुत्वशाली है, जो अपने दुश्मनों से बदला लेता है, तथा उनमें से तौबा करने वालों पर बहुत दयालु है।
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وَاِنَّهٗ لَتَنْزِیْلُ رَبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟ؕ
निःसंदेह मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर उतरने वाला यह क़ुरआन सारी सृष्टि के पालनहार की ओर से उतारा गया है।
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نَزَلَ بِهِ الرُّوْحُ الْاَمِیْنُ ۟ۙ
इसे लेकर जिबरील अमीन अलैहिस्सलाम उतरे हैं।
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عَلٰی قَلْبِكَ لِتَكُوْنَ مِنَ الْمُنْذِرِیْنَ ۟ۙ
वह इसे लेकर (ऐ रसूल!) आपके दिल पर उतरे हैं, ताकि आप उन रसूलों में से हो जाएँ, जो लोगों को चेतावनी देते हैं और उन्हें अल्लाह की यातना से डराते हैं।
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بِلِسَانٍ عَرَبِیٍّ مُّبِیْنٍ ۟ؕ
वह इसे शुद्ध एवं स्पष्ट अरबी भाषा में लेकर उतरे हैं।
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وَاِنَّهٗ لَفِیْ زُبُرِ الْاَوَّلِیْنَ ۟
और इस क़ुरआन का वर्णन पिछले लोगों की किताबों में भी आया है। चुनाँचे इसकी ख़ुशख़बरी पिछली आसमानी किताबों में भी दी गई है।
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اَوَلَمْ یَكُنْ لَّهُمْ اٰیَةً اَنْ یَّعْلَمَهٗ عُلَمٰٓؤُا بَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ ۟ؕ
क्या आपको झुठलाने वाले इन लोगों के लिए यह तथ्य आपकी सच्चाई की निशानी नहीं है कि आपपर उतरने वाली किताब की सच्चाई को बनी इसराईल के विद्वान जैसे अब्दुल्लाह बिन सलाम (भी) जानते हैं?
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وَلَوْ نَزَّلْنٰهُ عَلٰی بَعْضِ الْاَعْجَمِیْنَ ۟ۙ
और यदि हम यह क़ुरआन किसी अजमी (ग़ैर अरब) पर उतार देते, जो अरबी भाषा नहीं बोलता।
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فَقَرَاَهٗ عَلَیْهِمْ مَّا كَانُوْا بِهٖ مُؤْمِنِیْنَ ۟ؕ
फिर वह इसे उनके सामने पढ़ता, तो भी ये लोग उसपर ईमान लाने वाले न होते; क्योंकि वे कहते : हम इसे नहीं समझते हैं। इसलिए उन्हें अल्लाह का शुक्र अदा करना चाहिए की यह (क़ुरआन) उनकी भाषा (अरबी) में उतरा है।
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كَذٰلِكَ سَلَكْنٰهُ فِیْ قُلُوْبِ الْمُجْرِمِیْنَ ۟ؕ
इसी प्रकार हमने झुठलाने तथा इनकार की प्रवृति को अपराधियों के दिलों में डाल दिया है।
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لَا یُؤْمِنُوْنَ بِهٖ حَتّٰی یَرَوُا الْعَذَابَ الْاَلِیْمَ ۟ۙ
वे अपने कुफ़्र से टस से मस नहीं होंगे और ईमान नहीं लाएँगे, यहाँ तक कि वे दर्दनाक यातना देख लें।
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فَیَاْتِیَهُمْ بَغْتَةً وَّهُمْ لَا یَشْعُرُوْنَ ۟ۙ
सो यह यातना उनपर अचानक आ पड़े, और वे इसके आने से वाक़िफ़ न हों यहाँ तक कि यह अचानक उन्हें धर ले।
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فَیَقُوْلُوْا هَلْ نَحْنُ مُنْظَرُوْنَ ۟ؕ
फिर वे, जब उनपर अचानक यातना आ जाए, अफ़सोस करते हुए कहें : क्या हम मोहलत दिए जाने वाले हैं ताकि हम अल्लाह के समक्ष तौबा करें?!
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اَفَبِعَذَابِنَا یَسْتَعْجِلُوْنَ ۟
तो क्या ये काफिर लोग हमारी यातना के लिए जल्दी मचा रहे हैं, यह कहते हुए कि : हम तुझपर कदापि ईमान नहीं लाएँगे, जब तक तू अपने दावे के अनुसार हमपर आसमान का कोई टुकड़ा न गिरा दे।
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اَفَرَءَیْتَ اِنْ مَّتَّعْنٰهُمْ سِنِیْنَ ۟ۙ
तो (ऐ रसूल!) आप मुझे बताएँ कि यदि हम इन काफिरों को, जो उसपर ईमान लाने से मुँह फेरने वाले हैं जो आप लेकर आए हैं, एक लंबी अवधि के लिए नेमतों से लाभ उठाने का अवसर प्रदान कर दें।
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ثُمَّ جَآءَهُمْ مَّا كَانُوْا یُوْعَدُوْنَ ۟ۙ
फिर उस अवधि के बाद जिसमें उन्होंने उन नेमतों का लाभ उठाया, वह यातना आ जाए, जिसकी उन्हें धमकी दी जा रही थी।
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ߟߝߊߙߌ ߟߎ߫ ߢߊ߬ߕߣߐ ߘߏ߫ ߞߐߜߍ ߣߌ߲߬ ߞߊ߲߬:
• كلما تعمَّق المسلم في اللغة العربية، كان أقدر على فهم القرآن.
• मुसलमान जितना अधिक अरबी भाषा में दक्ष होगा, उतना ही वह क़ुरआन को समझने में सक्षम होगा।

• الاحتجاج على المشركين بما عند المُنْصِفين من أهل الكتاب من الإقرار بأن القرآن من عند الله.
• किताब वालों में से न्याय-प्रिय लोगों के पास जो इस तथ्य का इक़रार (स्वीकृति) पाया जाता है कि क़ुरआन अल्लाह की किताब है, उसे मुश्रिकों के विरुद्ध तर्क बनाना।

• ما يناله الكفار من نعم الدنيا استدراج لا كرامة.
• काफ़िरों को इस संसार में जो नेमतें मिलती हैं, वह ढील है, सम्मान नहीं।

 
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