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ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߛߞߎ߬ߦߊ߬ߟߊ ߟߎ߬   ߟߝߊߙߌ ߘߏ߫:
قَالَ وَمَا عِلْمِیْ بِمَا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟ۚ
नूह अलैहिस्सलाम ने उनसे कहा : मुझे क्या पता कि ये ईमान वाले क्या कार्य करते रहे हैं? क्योंकि मैं उनका निरीक्षक नहीं हूँ कि उनके कामों की गिनती करूँ।
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اِنْ حِسَابُهُمْ اِلَّا عَلٰی رَبِّیْ لَوْ تَشْعُرُوْنَ ۟ۚ
उनका हिसाब तो अल्लाह ही के ज़िम्मे है, जो उनकी छिपी और खुली (सारी) बातोंं को जानता है, मेरे ज़िम्मे नहीं है। अगर तुम समझते, तो वह बात न कहते जो तुमने कही है।
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وَمَاۤ اَنَا بِطَارِدِ الْمُؤْمِنِیْنَ ۟ۚ
और मैं तुम्हारी माँग को स्वीकार करते हुए ईमान वालों को अपनी सभा से निकालने वाला नहीं हूँ, ताकि तुम ईमान ले आओ।
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اِنْ اَنَا اِلَّا نَذِیْرٌ مُّبِیْنٌ ۟ؕ
मैं तो केवल स्पष्ट रूप से डराने वाला हूँ। तुम्हें अल्लाह की यातना से सावधान करता हूँ।
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قَالُوْا لَىِٕنْ لَّمْ تَنْتَهِ یٰنُوْحُ لَتَكُوْنَنَّ مِنَ الْمَرْجُوْمِیْنَ ۟ؕ
उनके समुदाय के लोगों ने उनसे कहा : यदि तुम हमें जिस बात की ओर बुलाते हो उससे बाज़ नहीं आए, तो निश्चय तुम अपशब्द सहोगे और पथराव करके मार डाले जाओगे।
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قَالَ رَبِّ اِنَّ قَوْمِیْ كَذَّبُوْنِ ۟ۚۖ
नूह ने अपने पालनहार से दुआ करते हुए कहा : ऐ मेरे पालनहार! मेरे समुदाय के लोगों ने मुझे झुठला दिया और मैं तेरे पास से जो कुछ लाया हूँ उसके प्रति मुझपर विश्वास नहीं किया।
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فَافْتَحْ بَیْنِیْ وَبَیْنَهُمْ فَتْحًا وَّنَجِّنِیْ وَمَنْ مَّعِیَ مِنَ الْمُؤْمِنِیْنَ ۟
अतः मेरे और उनके बीच ऐसा फ़ैसला कर दे, जो उन्हें उनके असत्य पर अड़े रहने के कारण विनष्ट कर दे, तथा मुझे और मेरे साथ जो ईमान वाले हैं, उन्हें उससे बचा ले जिसके द्वारा तू मेरे समुदाय के काफ़िरों को नष्ट करने वाला है।
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فَاَنْجَیْنٰهُ وَمَنْ مَّعَهٗ فِی الْفُلْكِ الْمَشْحُوْنِ ۟ۚ
अतः हमने उनकी दुआ को स्वीकार कर लिया तथा उन्हें और उनके साथ, लोगों और जानवरों से भरी हुई नौका में सवार, ईमान वालों को बचा लिया।
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ثُمَّ اَغْرَقْنَا بَعْدُ الْبٰقِیْنَ ۟ؕ
फिर हमने उनके बाद नूह़ के समुदाय के बाक़ी लोगों को डुबो दिया।
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اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیَةً ؕ— وَمَا كَانَ اَكْثَرُهُمْ مُّؤْمِنِیْنَ ۟
उपर्युक्त नूह और उनके समुदाय की कहानी तथा नूह एवं उनके मोमिन साथियों के बच निकलने और उनके समुदाय के काफ़िरों के विनाश में निश्चय सीख ग्रहण करने वालों के लिए बड़ी सीख है। तथा उनमें से अधिकांश लोग ईमान लाने वाले नहीं थे।
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وَاِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِیْزُ الرَّحِیْمُ ۟۠
और निःसंदेह (ऐ रसूल!) आपका पालनहार ही वह प्रभुत्वशाली है, जो अपने दुश्मनों से बदला लेता है, तथा उनमें से तौबा करने वालों पर बहुत दयालु है।
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كَذَّبَتْ عَادُ ١لْمُرْسَلِیْنَ ۟ۚۖ
आद जाति ने (भी) रसूलों को झुठलाया, जिस समय उन्होंने अपने रसूल हूद अलैहिस्सलाम को झुठला दिया।
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اِذْ قَالَ لَهُمْ اَخُوْهُمْ هُوْدٌ اَلَا تَتَّقُوْنَ ۟ۚ
(उस समय को) याद करो जब उनके वंश के भाई हूद ने उनसे कहा : क्या तुम अल्लाह से डरते नहीं कि उसके भय के कारण उसके अलावा की उपासना छोड़ दो?!
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اِنِّیْ لَكُمْ رَسُوْلٌ اَمِیْنٌ ۟ۙ
निःसंदेह मैं तुम्हारा रसूल हूँ, अल्लाह ने मुझे तुम्हारी ओर भेजा है। (मैं) अमानतदार हूँ, जो कुछ अल्लाह ने मुझे पहुँचाने का आदेश दिया है, उसमें कोई कमी-बेशी नहीं करता।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاَطِیْعُوْنِ ۟ۚ
अतः तुम अल्लाह के आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर उससे डरो, तथा जिसका मैं तुम्हें आदेश देता हूँ और जिससे मैं तुम्हें मना करता हूँ, उसमें मेरा कहा मानो।
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وَمَاۤ اَسْـَٔلُكُمْ عَلَیْهِ مِنْ اَجْرٍ ۚ— اِنْ اَجْرِیَ اِلَّا عَلٰی رَبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟ؕ
और जो कुछ मैं अपने रब की ओर से तुम्हें संदेश पहुँचाता हूँ, मैं तुमसे उसका बदला नहीं माँगता। मेरा बदला तो केवल सारी सृष्टि के रब अल्लाह के ज़िम्मे है, किसी अन्य के नहीं।
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اَتَبْنُوْنَ بِكُلِّ رِیْعٍ اٰیَةً تَعْبَثُوْنَ ۟ۙ
क्या तुम प्रत्येक ऊँचे स्थान पर व्यर्थ में स्मारक भवन का निर्माण करते हो, जबकि उसका इस दुनिया या आख़िरत में तुम्हें कोई फ़ायदा नहीं होता?!
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَتَتَّخِذُوْنَ مَصَانِعَ لَعَلَّكُمْ تَخْلُدُوْنَ ۟ۚ
और तुम क़िले और महलें बनाते हो, मानो तुम इस दुनिया में हमेशा के लिए रहने वाले हो और यहाँ से तुम्हें जाना नहीं है।
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وَاِذَا بَطَشْتُمْ بَطَشْتُمْ جَبَّارِیْنَ ۟ۚ
और जब तुम क़त्ल करने अथवा मारने के लिए किसी पर हमला करते हो, तो निर्दय और बे-रहम होकर हमला करते हो।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاَطِیْعُوْنِ ۟ۚ
अतः तुम अल्लाह के आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर उससे डरो, तथा जिसका मैं तुम्हें आदेश देता हूँ और जिससे मैं तुम्हें मना करता हूँ, उसमें मेरा कहा मानो।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَاتَّقُوا الَّذِیْۤ اَمَدَّكُمْ بِمَا تَعْلَمُوْنَ ۟ۚ
और तुम अल्लाह के प्रकोप से डरो, जिसने तुम्हें अपनी नेमतों में से वे चीज़ें प्रदान कीं, जिन्हें तुम जानते हो।
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اَمَدَّكُمْ بِاَنْعَامٍ وَّبَنِیْنَ ۟ۚۙ
उसने तुम्हें मवेशी दिए, तथा तुम्हें बच्चे प्रदान किए।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَجَنّٰتٍ وَّعُیُوْنٍ ۟ۚ
तथा उसने तुम्हें बाग़ और बहते जल स्रोत प्रदान किए।
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اِنِّیْۤ اَخَافُ عَلَیْكُمْ عَذَابَ یَوْمٍ عَظِیْمٍ ۟ؕ
निश्चय मैं (ऐ मेरी जाति के लोगो!) तुमपर एक महान दिन की यातना से डरता हूँ, जो कि क़ियामत का दिन है।
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قَالُوْا سَوَآءٌ عَلَیْنَاۤ اَوَعَظْتَ اَمْ لَمْ تَكُنْ مِّنَ الْوٰعِظِیْنَ ۟ۙ
उनकी जाति के लोगों ने उनसे कहा : तुम्हारा हमें सदुपदेश देना और न देना दोनों बराबर है। क्योंकि हम तुमपर कदापि ईमान नहीं लाएँगे और जिसपर हम क़ायम हैं, उससे हरगिज़ पीछे नहीं हटेंगे।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
ߟߝߊߙߌ ߟߎ߫ ߢߊ߬ߕߣߐ ߘߏ߫ ߞߐߜߍ ߣߌ߲߬ ߞߊ߲߬:
• أفضلية أهل السبق للإيمان حتى لو كانوا فقراء أو ضعفاء.
• ईमान में पहल करने वालों की श्रेष्ठता, भले ही वे ग़रीब या कमज़ोर हों।

• إهلاك الظالمين، وإنجاء المؤمنين سُنَّة إلهية.
• अत्याचारियों का विनाश करना तथा मोमिनों को बचा लेना एक ईश्वरीय नियम है।

• خطر الركونِ إلى الدنيا.
• दुनिया पर निर्भरता और उससे दिल लगाने का ख़तरा।

• تعنت أهل الباطل، وإصرارهم عليه.
• असत्य के अनुयायियों की हठधर्मिता और उसपर उनकी ज़िद।

 
ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߛߞߎ߬ߦߊ߬ߟߊ ߟߎ߬
ߝߐߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ ߞߐߜߍ ߝߙߍߕߍ
 
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ߡߍ߲ ߝߘߊߣߍ߲߫ ߞߎ߬ߙߊ߬ߣߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߕߌߙߌ߲ߠߌ߲ ߝߊ߲ߓߊ ߟߊ߫

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