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ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߤߎ߯ߘߎ߫   ߟߝߊߙߌ ߘߏ߫:
فَلَا تَكُ فِیْ مِرْیَةٍ مِّمَّا یَعْبُدُ هٰۤؤُلَآءِ ؕ— مَا یَعْبُدُوْنَ اِلَّا كَمَا یَعْبُدُ اٰبَآؤُهُمْ مِّنْ قَبْلُ ؕ— وَاِنَّا لَمُوَفُّوْهُمْ نَصِیْبَهُمْ غَیْرَ مَنْقُوْصٍ ۟۠
(ऐ रसूल) ये मुश्रिक लोग जिन (मूर्तियों) की पूजा कर रहे हैं, उनके भ्रष्ट होने के संबंध में आपको कोई संदेह नहीं होना चाहिए। क्योंकि उनके पास उसके सही होने पर कोई बौद्धिक या शरई प्रमाण नहीं है। बल्कि, उनके अल्लाह के अलावा अन्य को पूजने का कारण, मात्र अपने बाप-दादा का अनुकरण (नकल) है। निःसंदेह हम बिना कमी के उन्हें उनकी यातना का पूरा-पूरा हिस्सा देने वाले हैं।
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وَلَقَدْ اٰتَیْنَا مُوْسَی الْكِتٰبَ فَاخْتُلِفَ فِیْهِ ؕ— وَلَوْلَا كَلِمَةٌ سَبَقَتْ مِنْ رَّبِّكَ لَقُضِیَ بَیْنَهُمْ ؕ— وَاِنَّهُمْ لَفِیْ شَكٍّ مِّنْهُ مُرِیْبٍ ۟
और हमने मूसा को तौरात दी थी, फिर लोगों ने उसमें विभेद किया। कुछ लोग उसपर ईमान लाए और कुछ लोगों ने उसका इनकार किया। यदि अल्लाह का यह पूर्व निर्धारित निर्णय न होता कि वह शीघ्र ही (दुनिया में) यातना नहीं देगा, बल्कि अपनी हिकमत के तहत उसे क़ियामत तक के लिए विलंबित रखेगा, तो दुनिया ही में वह अज़ाब आ जाता, जिसके वे हक़दार हैं। यहूदियों तथा बहुदेववादियों में से काफ़िर लोग कुरआन के संबंध में संदेह में पड़े हुए हैं, जो असमंजस में डालने वाला है।
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وَاِنَّ كُلًّا لَّمَّا لَیُوَفِّیَنَّهُمْ رَبُّكَ اَعْمَالَهُمْ ؕ— اِنَّهٗ بِمَا یَعْمَلُوْنَ خَبِیْرٌ ۟
जिन मतभेद करने वालों का भी उल्लेख किया गया है, उनमें से प्रत्येक को (ऐ रसूल!) आपका पालनहार उसके कर्मों का अवश्य पूरा बदला देगा। चुनाँचे जिसका कर्म अच्छा था, उसका बदला अच्छा होगा और जिसका कर्म बुरा था, उसका बदला बुरा होगा। निःसंदेह अल्लाह उनके छोटे-छोटे कर्मों से भी सूचित है, उनके कामों में से कुछ भी उससे छिपा नहीं है।
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فَاسْتَقِمْ كَمَاۤ اُمِرْتَ وَمَنْ تَابَ مَعَكَ وَلَا تَطْغَوْا ؕ— اِنَّهٗ بِمَا تَعْمَلُوْنَ بَصِیْرٌ ۟
(ऐ रसूल) हमेशा सीधे रास्ते पर जमे रहें, जैसा कि अल्लाह ने आपको आदेश दिया है। अतः उसके आदेशों का पालन करें और उसके निषेधों से बचें। इसी तरह आपके साथ तौबा करने वाले मोमिन भी सीधे रास्ते पर जमे रहें। तथा तुम गुनाहों में पड़कर सीमा का उल्लंघन न करो। निश्चय ही वह तुम्हारे कर्मों को देख रहा है। उससे तुम्हारा कोई काम छिपा नहीं है और वह तुम्हें उसका बदला देगा।
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وَلَا تَرْكَنُوْۤا اِلَی الَّذِیْنَ ظَلَمُوْا فَتَمَسَّكُمُ النَّارُ ۙ— وَمَا لَكُمْ مِّنْ دُوْنِ اللّٰهِ مِنْ اَوْلِیَآءَ ثُمَّ لَا تُنْصَرُوْنَ ۟
चाटुकारिता या स्नेह के साथ अत्याचारी काफ़िरों की ओर झुकाव न करें, अन्यथा इस झुकाव के कारण तुम्हें (भी) आग पकड़ लेगी। और अल्लाह के सिवा तुम्हारा कोई सहायक न होगा, जो तुम्हें उससे बचा सके। फिर तुम्हें कोई ऐसा नहीं मिलेगा जो तुम्हारी सहायता कर सके।
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وَاَقِمِ الصَّلٰوةَ طَرَفَیِ النَّهَارِ وَزُلَفًا مِّنَ الَّیْلِ ؕ— اِنَّ الْحَسَنٰتِ یُذْهِبْنَ السَّیِّاٰتِ ؕ— ذٰلِكَ ذِكْرٰی لِلذّٰكِرِیْنَ ۟ۚ
(ऐ रसूल) आप दिन के दोनों सिरों में अर्थात दिन की शुरुआत और उसके अंत में अच्छे ढंग से नमाज़ क़ायम कीजिए। तथा रात के कुछ क्षणों में भी उसकी स्थापना कीजिए। निःसंदेह अच्छे कार्य छोटे गुनाहों को मिटा देते हैं। उपर्युक्त बातें सीख लेने वालों के लिए, एक सीख हैं।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَاصْبِرْ فَاِنَّ اللّٰهَ لَا یُضِیْعُ اَجْرَ الْمُحْسِنِیْنَ ۟
तथा आपको सीधे मार्ग पर जमे रहने आदि का जो आदेश दिया गया है, उसे करने और सीमोल्लंघन एवं अत्याचारियों की ओर झुकाव से जो रोका गया है, उसे छोड़ने पर धैर्य से काम लें। निःसंदेह अल्लाह सदाचारियों का प्रतिफल नष्ट नहीं करता, बल्कि उनके अच्छे कर्मों को स्वीकार करता है और उनका बहुत अच्छा बदला देता है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فَلَوْلَا كَانَ مِنَ الْقُرُوْنِ مِنْ قَبْلِكُمْ اُولُوْا بَقِیَّةٍ یَّنْهَوْنَ عَنِ الْفَسَادِ فِی الْاَرْضِ اِلَّا قَلِیْلًا مِّمَّنْ اَنْجَیْنَا مِنْهُمْ ۚ— وَاتَّبَعَ الَّذِیْنَ ظَلَمُوْا مَاۤ اُتْرِفُوْا فِیْهِ وَكَانُوْا مُجْرِمِیْنَ ۟
ऐसा क्यों न हुआ कि पहले के यातना ग्रस्त समुदायों में कुछ सदाचारी होते, जो उन समुदायों को कुफ्र से तथा गुनाहों के द्वारा धरती पर उपद्रव करने से रोकते। उनके अंदर ऐसे लोग नहीं रह गए थे, सिवाय उनमें से कुछ के जो भ्रष्टाचार से मना कर रहे थे। अतः उनकी अत्याचारी जाति को विनष्ट करते समय हमने उनको बचा लिया। जबकि उन जातियों के अत्याचारी लोग सुख और आनंद के पीछे लगे रहे। और ऐसा करके वे अन्याय कर रहे थे।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَمَا كَانَ رَبُّكَ لِیُهْلِكَ الْقُرٰی بِظُلْمٍ وَّاَهْلُهَا مُصْلِحُوْنَ ۟
और आपका पालनहार (ऐ रसूल) ऐसा नहीं है कि वह बस्तियों में से किसी बस्ती को विनष्ट कर दे, जबकि उसके वासी धरती में सुधार का करने वाले हों। बल्कि वह उसे उसी समय विनष्ट करता है, जब उसके वासी कुफ्र, अत्याचार और गुनाहों के द्वारा बिगाड़ पैदा करने वाले हों।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
ߟߝߊߙߌ ߟߎ߫ ߢߊ߬ߕߣߐ ߘߏ߫ ߞߐߜߍ ߣߌ߲߬ ߞߊ߲߬:
• وجوب الاستقامة على دين الله تعالى.
• अल्लाह के धर्म पर जमे रहने की अनिवार्यता।

• التحذير من الركون إلى الكفار الظالمين بمداهنة أو مودة.
• चापलूसी या स्नेह के साथ अन्यायी काफिरों की ओर झुकने से चेतावनी।

• بيان سُنَّة الله تعالى في أن الحسنة تمحو السيئة.
• अल्लाह के इस नियम का वर्णन कि नेकी गुनाह को मिटा देती है।

• الحث على إيجاد جماعة من أولي الفضل يأمرون بالمعروف، وينهون عن الفساد والشر، وأنهم عصمة من عذاب الله.
• सदाचारी लोगों के एक समूह के निर्माण का आग्रह, जो अच्छी बातों का आदेश दे तथा भ्रष्टाचार और बुराई से रोके। और यह कि वे अल्लाह के अज़ाब से प्रतिरक्षा हैं।

 
ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߤߎ߯ߘߎ߫
ߝߐߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ ߞߐߜߍ ߝߙߍߕߍ
 
ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߟߊߘߛߏߣߍ߲" ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐߦߌߘߊ ߘߐ߫ ߤߌߣߘߌߞߊ߲ ߘߐ߫ - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ

ߡߍ߲ ߝߘߊߣߍ߲߫ ߞߎ߬ߙߊ߬ߣߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߕߌߙߌ߲ߠߌ߲ ߝߊ߲ߓߊ ߟߊ߫

ߘߊߕߎ߲߯ߠߌ߲