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Translation of the Meanings of the Noble Qur'an - Hindi translation of Al-Mukhtsar in interpretation of the Noble Quran * - Translations’ Index


Translation of the meanings Surah: Al-Baqarah   Ayah:
اِنَّ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا سَوَآءٌ عَلَیْهِمْ ءَاَنْذَرْتَهُمْ اَمْ لَمْ تُنْذِرْهُمْ لَا یُؤْمِنُوْنَ ۟
जिन लोगों पर ईमान न लाने की अल्लाह की बात सिद्ध हो चुकी है, वे अपनी पथभ्रष्टता और हठ पर क़ायम रहने वाले हैं। इसलिए आपका उन्हें डराना और न डराना बराबर है।
Arabic explanations of the Qur’an:
خَتَمَ اللّٰهُ عَلٰی قُلُوْبِهِمْ وَعَلٰی سَمْعِهِمْ ؕ— وَعَلٰۤی اَبْصَارِهِمْ غِشَاوَةٌ ؗ— وَّلَهُمْ عَذَابٌ عَظِیْمٌ ۟۠
क्योंकि अल्लाह ने उनके दिलों पर मुहर लगा दी है और उनमें मौजूद कुफ़्र सहित उन्हें बंद कर दिया है। तथा उनके कानों पर मुहर लगा दी है, अतः वे सत्य को उसे स्वीकारने और उसका अनुसरण करने की नीयत से नहीं सुनते हैं। तथा उनकी आँखों पर पर्दा डाल दिया है, अतः वे सत्य के स्पष्ट होने के बावजूद उसे नहीं देखते हैं, और उनके लिए आख़िरत में बहुत बड़ी यातना है।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَمِنَ النَّاسِ مَنْ یَّقُوْلُ اٰمَنَّا بِاللّٰهِ وَبِالْیَوْمِ الْاٰخِرِ وَمَا هُمْ بِمُؤْمِنِیْنَ ۟ۘ
लोगों का एक समूह ऐसा है, जो यह दावा करता है कि वे ईमान वाले हैं। वे अपनी जान और अपने माल के डर से केवल अपनी ज़बान से ऐसा कहते हैं। जबकि अंदर से वे काफ़िर हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
یُخٰدِعُوْنَ اللّٰهَ وَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا ۚ— وَمَا یَخْدَعُوْنَ اِلَّاۤ اَنْفُسَهُمْ وَمَا یَشْعُرُوْنَ ۟ؕ
वे अपनी अज्ञानतावश यह समझते हैं कि वे ईमान का प्रदर्शन करके और कुफ़्र को छिपाकर अल्लाह और मोमिनों को धोखा दे रहे हैं। लेकिन उन्हें इसका एहसास नहीं है; क्योंकि अल्लाह रहस्य और छिपी बातों को जानता है और उसने ईमान वालों को उनकी विशेषताओं और स्थितियों के बारे में सूचित कर दिया है।
Arabic explanations of the Qur’an:
فِیْ قُلُوْبِهِمْ مَّرَضٌ ۙ— فَزَادَهُمُ اللّٰهُ مَرَضًا ۚ— وَلَهُمْ عَذَابٌ اَلِیْمٌ ۙ۬۟ — بِمَا كَانُوْا یَكْذِبُوْنَ ۟
कारण यह है कि उनके दिलों में संदेह है। इसलिए अल्लाह ने उनके संदेह में संदेह को और बढ़ा दिया; क्योंकि बदला कार्य ही के समान दिया जाता है। तथा उनके लिए जहन्नम के सबसे निचले गढ़े में दर्दनाक यातना है। इसलिए कि उन्होंने अल्लाह पर और लोगों पर झूठ कहा और मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के लाए हुए धर्म को झुठलाया।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَاِذَا قِیْلَ لَهُمْ لَا تُفْسِدُوْا فِی الْاَرْضِ ۙ— قَالُوْۤا اِنَّمَا نَحْنُ مُصْلِحُوْنَ ۟
जब उन्हें कुफ़्र, पापों और अन्य चीजों के द्वारा धरती पर उपद्रव करने से मना किया जाता है, तो वे इनकार करते हैं और दावा करते हैं कि वे तो सदाचार और सुधार वाले हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
اَلَاۤ اِنَّهُمْ هُمُ الْمُفْسِدُوْنَ وَلٰكِنْ لَّا یَشْعُرُوْنَ ۟
जबकि वास्तविकता यह है कि वही उपद्रव करने वाले और उत्पात मचाने वाले हैं, लेकिन उन्हें इसका एहसास नहीं है, और न ही वे यह समझते हैं कि उनका यह कृत्य ही असल उपद्रव है।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَاِذَا قِیْلَ لَهُمْ اٰمِنُوْا كَمَاۤ اٰمَنَ النَّاسُ قَالُوْۤا اَنُؤْمِنُ كَمَاۤ اٰمَنَ السُّفَهَآءُ ؕ— اَلَاۤ اِنَّهُمْ هُمُ السُّفَهَآءُ وَلٰكِنْ لَّا یَعْلَمُوْنَ ۟
जब उन्हें मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथियों के ईमान लाने की तरह ईमान लाने का आदेश दिया जाता है, तो वे अस्वीकृति और उपहास के रूप में उसका उत्तर देते हुए कहते हैं : क्या हम अल्पबुद्धि वालों के ईमान लाने की तरह ईमान ले आएँ?! सच तो यह है कि वे स्वयं मूर्ख हैं, लेकिन वे इससे अनजान हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَاِذَا لَقُوا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا قَالُوْۤا اٰمَنَّا ۖۚ— وَاِذَا خَلَوْا اِلٰی شَیٰطِیْنِهِمْ ۙ— قَالُوْۤا اِنَّا مَعَكُمْ ۙ— اِنَّمَا نَحْنُ مُسْتَهْزِءُوْنَ ۟
जब वे मोमिनों से मिलते हैं, तो उनके डर से कहते हैं : हम उसपर ईमान लाते हैं जिसपर तुम ईमान लाते हो। और जब वे ईमान वालों के पास से अपने सरदारों की ओर वापस लौटते हैं और उनके साथ एकांत में होते हैं, तो उनके साथ होने का विश्वास दिलाते हुए कहते हैं : निश्चय हम तुम्हारे साथ तुम्हारे मार्ग ही पर हैं। लेकिन हम ईमान वालों से ज़ाहिरी तौर पर, उनका मज़ाक़ उड़ाने और उपहास करने के लिए, सहमत हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
اَللّٰهُ یَسْتَهْزِئُ بِهِمْ وَیَمُدُّهُمْ فِیْ طُغْیَانِهِمْ یَعْمَهُوْنَ ۟
उनके ईमान वालों का उपहास करने के मुक़ाबिले में, अल्लाह उनका मज़ाक़ उड़ाता है, उन्हें उनके कार्य ही के समान बदला देने के तौर पर। यही कारण है कि उनके लिए इस दुनिया में मुसलमानों के नियम लागू किए हैं, लेकिन आख़िरत में उन्हें उनके कुफ़्र तथा निफ़ाक़ का बदला देगा। तथा अल्लाह उन्हें ढील देता है, ताकि वे अपनी गुमराही और सरकशी में बने रहें। इस तरह वे अचंभे तथा असमंजस (दुविधा), में पड़े रहें।
Arabic explanations of the Qur’an:
اُولٰٓىِٕكَ الَّذِیْنَ اشْتَرَوُا الضَّلٰلَةَ بِالْهُدٰی ۪— فَمَا رَبِحَتْ تِّجَارَتُهُمْ وَمَا كَانُوْا مُهْتَدِیْنَ ۟
वे मुनाफ़िक़ जिन्हें इन विशेषताओं के साथ वर्णित किया गया है, वही लोग हैं जिन्होंने ईमान के बदले कुफ़्र को चुना। इसलिए उनके व्यापार से कोई लाभ नहीं हुआ; क्योंकि वे अल्लाह पर ईमान से हाथ धो बैठे और उन्हें सत्य मार्ग भी प्राप्त नहीं हुआ।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• أن من طبع الله على قلوبهم بسبب عنادهم وتكذيبهم لا تنفع معهم الآيات وإن عظمت.
• जिन लोगों के हठ और झुठलाने ( इनकार) के कारण अल्लाह ने उनके दिलों पर, मुहर लगा दी है, उनके लिए बड़ी से बड़ी निशानी भी लाभकारी नहीं हो सकती।

• أن إمهال الله تعالى للظالمين المكذبين لم يكن عن غفلة أو عجز عنهم، بل ليزدادوا إثمًا، فتكون عقوبتهم أعظم.
• अल्लाह तआला का अत्याचारियों को ढील देना, उनसे बेख़बरी अथवा विवशता के कारण नहीं है, बल्कि इसलिए है कि वे पाप में बढ़ जाएँ, फिर उनकी सज़ा और अधिक बढ़ा दी जाए।

 
Translation of the meanings Surah: Al-Baqarah
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Issued by Tafsir Center for Quranic Studies

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