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Translation of the Meanings of the Noble Qur'an - Hindi translation of Al-Mukhtsar in interpretation of the Noble Quran * - Translations’ Index


Translation of the meanings Surah: Ibrāhīm   Ayah:
وَاِذْ قَالَ مُوْسٰی لِقَوْمِهِ اذْكُرُوْا نِعْمَةَ اللّٰهِ عَلَیْكُمْ اِذْ اَنْجٰىكُمْ مِّنْ اٰلِ فِرْعَوْنَ یَسُوْمُوْنَكُمْ سُوْٓءَ الْعَذَابِ وَیُذَبِّحُوْنَ اَبْنَآءَكُمْ وَیَسْتَحْیُوْنَ نِسَآءَكُمْ ؕ— وَفِیْ ذٰلِكُمْ بَلَآءٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ عَظِیْمٌ ۟۠
(ऐ रसूल) उस समय को याद कीजिए, जब मूसा ने अपने पालनहार के आदेश का पालन करते हुए अपनी जाति बनी इसराईल को अल्लाह की ओर से प्राप्त होने वाली नेमतों का स्मरण कराते हुए कहा : ऐ मेरे समुदाय के लोगो! अल्लाह की नेमत को याद करो जब उसने तुम्हें फ़िरऔनियों से बचाया और उनकी यातना से सुरक्षा प्रदान की। वे तुम्हें घोर यातना देते थे। तुम्हारे बेटों का वध कर देते थे ताकि तुम्हारे बीच कोई ऐसा बच्चा न पैदा हो जो फ़िरऔन के राज्य पर क़ब्ज़ा जमा सके। तथा वे तुम्हारी महिलाओं को उन्हें अपमानित और बेइज़्ज़त करने के लिए जीवित रखते थे। उनके इने कृत्यों में तुम्हारे धैर्य की एक महान परीक्षा है। चुनाँचे इस आज़माइश पर धैर्य के बदले में अल्लाह ने तुम्हें फ़िरऔनियों की प्रताड़ना से छुटकारा प्रदान कर दिया।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَاِذْ تَاَذَّنَ رَبُّكُمْ لَىِٕنْ شَكَرْتُمْ لَاَزِیْدَنَّكُمْ وَلَىِٕنْ كَفَرْتُمْ اِنَّ عَذَابِیْ لَشَدِیْدٌ ۟
और मूसा ने उनसे कहा : उस समय को याद करो, जब तुम्हारे पालनहार ने तुम्हें अच्छी तरह सूचित कर दिया : यदि तुम अल्लाह की दी हुई इन नेमतों पर उसका शुक्रिया अदा करोगे, तो वह तुम्हें इनके अतिरिक्त और भी नेमतों और अनुग्रहों से सम्मानित करेगा, और यदि तुम उसकी नेमतों का इनकार करोगे और उनका शुक्रिया अदा न करोगे, तो उसकी यातना उसके लिए बहुत सख़्त है, जो उसकी नेमतों का इनकार करता है और उनका शुक्रिया अदा नहीं करता है।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَقَالَ مُوْسٰۤی اِنْ تَكْفُرُوْۤا اَنْتُمْ وَمَنْ فِی الْاَرْضِ جَمِیْعًا ۙ— فَاِنَّ اللّٰهَ لَغَنِیٌّ حَمِیْدٌ ۟
और मूसा ने अपने समुदाय के लोगों से कहा : यदि तुम कुफ़्र करो और तुम्हारे साथ धरती के सभी लोग कुफ़्र कर बैठें, तो तुम्हारे कुफ्र का नुक़सान तुम्हें ही उठाना पड़ेगा। क्योंकि अल्लाह स्वयं में बेनियाज़ है, स्वयं में प्रशंसा के योग्य है। ईमान वालों का ईमान उसे लाभ नहीं देता, और न काफ़िरों का कुफ़्र उसे नुक़सान पहुँचाता।
Arabic explanations of the Qur’an:
اَلَمْ یَاْتِكُمْ نَبَؤُا الَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِكُمْ قَوْمِ نُوْحٍ وَّعَادٍ وَّثَمُوْدَ ۛؕ۬— وَالَّذِیْنَ مِنْ بَعْدِهِمْ ۛؕ— لَا یَعْلَمُهُمْ اِلَّا اللّٰهُ ؕ— جَآءَتْهُمْ رُسُلُهُمْ بِالْبَیِّنٰتِ فَرَدُّوْۤا اَیْدِیَهُمْ فِیْۤ اَفْوَاهِهِمْ وَقَالُوْۤا اِنَّا كَفَرْنَا بِمَاۤ اُرْسِلْتُمْ بِهٖ وَاِنَّا لَفِیْ شَكٍّ مِّمَّا تَدْعُوْنَنَاۤ اِلَیْهِ مُرِیْبٍ ۟
(ऐ काफ़िरो!) क्या तुम्हारे पास तुमसे पहले के झुठलाने वाले समुदायों के विनाश की ख़बर नहीं आई? नूह की जाति, हूद की जाति आद, सालेह की जाति समूद और उनके बाद आने वाले समुदायों की, जिनकी संख्या बहुत अधिक है, जिन्हें अल्लाह के सिवा कोई नहीं जानता। उनके रसूल उनके पास स्पष्ट प्रमाणों के साथ आए। लेकिन उन्होंने रसूलों से क्रोध के कारण अपनी उँगलियों को काटते हुए अपने हाथ अपने मुँहों में डाल लिए और अपने रसूलों से कहा : हम उसका इनकार करते हैं, जिसके साथ तुम भेजे गए हो। और निःसंदहे हम उस चीज़ के बारे में जिसकी ओर तुम हमें आमंत्रित करते हो, असमंजस में डालने वाले संदेह में पड़े हुए हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
قَالَتْ رُسُلُهُمْ اَفِی اللّٰهِ شَكٌّ فَاطِرِ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— یَدْعُوْكُمْ لِیَغْفِرَ لَكُمْ مِّنْ ذُنُوْبِكُمْ وَیُؤَخِّرَكُمْ اِلٰۤی اَجَلٍ مُّسَمًّی ؕ— قَالُوْۤا اِنْ اَنْتُمْ اِلَّا بَشَرٌ مِّثْلُنَا ؕ— تُرِیْدُوْنَ اَنْ تَصُدُّوْنَا عَمَّا كَانَ یَعْبُدُ اٰبَآؤُنَا فَاْتُوْنَا بِسُلْطٰنٍ مُّبِیْنٍ ۟
उनके रसूलों ने उनके जवाब में कहा : क्या अल्लाह के एकेश्वरवाद और इबादत के लिए उसके एकल होने के बारे में कोई संदेह है, जबकि वह आकाशों का रचयिता तथा धरती का रचयिता और बिना किसी नमूने के उनकी उत्पत्ति करने वाला है?! वह तुम्हें ईमान की ओर बुलाता है, ताकि तुम्हारे पिछले गुनाहों को माफ़ कर दे और तुम्हेंं तुम्हारे सांसारिक जीवन में निर्धारित समय सीमा को पूरा करने तक के लिए मोहलत दे। उनके समुदायों ने उनसे कहा : तुम तो हमारे ही जैसे इनसान हो। तुम्हें हमपर कोई विशिष्टता प्राप्त नहीं है। तुम हमें उसकी पूजा करने से रोकना चाहते हो, जिसकी हमारे बाप-दादा पूजा करते थे। इसलिए हमारे पास कोई स्पष्ट प्रमाण लाओ, जो तुम्हारे इस दावे में तुम्हारी सच्चाई का संकेत दे कि तुम अल्लाह की ओर से हमारे लिए रसूल बनाकर भेजे गए हो।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• من وسائل الدعوة تذكير المدعوين بنعم الله تعالى عليهم، خاصة إن كان ذلك مرتبطًا بنعمة كبيرة، مثل نصر على عدوه أو نجاة منه.
• अल्लाह की ओर बुलाने का एक साधन यह है कि आमंत्रित लोगों को अल्लाह की नेमतों की याद दिलाई जाए, खासकर यदि वह किसी महान नेमत से संबंधित हो। जैसे कि उसके शत्रु पर विजय या उससे मुक्ति।

• من فضل الله تعالى أنه وعد عباده مقابلة شكرهم بمزيد الإنعام، وفي المقابل فإن وعيده شديد لمن يكفر به.
• यह अल्लाह का अनुग्रह है कि उसने अपने बंदों से उनके शुक्र के बदले में और अधिक इनाम का वादा किया है। और इसके विपरीत नाशुक्री करने वालों के लिए उसकी धमकी बड़ी सख़्त है।

• كفر العباد لا يضر اللهَ البتة، كما أن إيمانهم لا يضيف له شيئًا، فهو غني حميد بذاته.
• बंदों का कुफ़्र अल्लाह को बिल्कुल भी नुकसान नहीं पहुँचाता है, जैसे उनका ईमान उसमें कुछ भी वृद्धि नहीं करता। क्योंकि वह अपने आप में बेनियाज़ और प्रशंसित है।

 
Translation of the meanings Surah: Ibrāhīm
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Issued by Tafsir Center for Quranic Studies

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