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د قرآن کریم د معناګانو ژباړه - هندي ژبې ته د المختصر في تفسیر القرآن الکریم ژباړه. * - د ژباړو فهرست (لړلیک)


د معناګانو ژباړه سورت: انفال   آیت:
فَلَمْ تَقْتُلُوْهُمْ وَلٰكِنَّ اللّٰهَ قَتَلَهُمْ ۪— وَمَا رَمَیْتَ اِذْ رَمَیْتَ وَلٰكِنَّ اللّٰهَ رَمٰی ۚ— وَلِیُبْلِیَ الْمُؤْمِنِیْنَ مِنْهُ بَلَآءً حَسَنًا ؕ— اِنَّ اللّٰهَ سَمِیْعٌ عَلِیْمٌ ۟
(ऐ मोमिनो!) तुमने बद्र के दिन मुश्रिकों को अपनी ताक़त और शक्ति से नहीं मारा, बल्कि अल्लाह ने इसमें तुम्हारी मदद की। और (ऐ नबी!) जब आपने मुश्रिकों की ओर मिट्टी फेंकी, तो आपने मिट्टी नहीं फेंकी, बल्कि अल्लाह ही ने फेंकी, जब आपकी फेंकी हुई मिट्टी को उनके पास पहुँचा दिया। और ताकि वह मोमिनों को अपने इस उपकार के साथ आज़माए कि उसने उन्हें संख्याबल और उपकरणों की कमी के बावजूद उनके दुश्मन पर विजय प्रदान किया ताकि वे उसका शुक्रिया अदा करें। निश्चय अल्लाह तुम्हारी दुआओं और बातों को सुनने वाला, तथा तुम्हारे कर्मों और हितों को जानने वाला है।
عربي تفسیرونه:
ذٰلِكُمْ وَاَنَّ اللّٰهَ مُوْهِنُ كَیْدِ الْكٰفِرِیْنَ ۟
यह उल्लिखित बातें, जैसे मुश्रिकों को क़त्ल करना, उनकी ओर मिट्टी फेंकना यहाँ तक कि वे पराजित हो गए और पीठ फेरकर भाग गए, तथा मुसलमानों को उनके दुश्मन पर विजय प्रदान करना; यह सब अल्लाह की ओर से है। और अल्लाह काफ़िरों की उस चाल को कमज़ोर कर देने वाला है, जो वे इस्लाम के खिलाफ़ चल रहे हैं।
عربي تفسیرونه:
اِنْ تَسْتَفْتِحُوْا فَقَدْ جَآءَكُمُ الْفَتْحُ ۚ— وَاِنْ تَنْتَهُوْا فَهُوَ خَیْرٌ لَّكُمْ ۚ— وَاِنْ تَعُوْدُوْا نَعُدْ ۚ— وَلَنْ تُغْنِیَ عَنْكُمْ فِئَتُكُمْ شَیْـًٔا وَّلَوْ كَثُرَتْ ۙ— وَاَنَّ اللّٰهَ مَعَ الْمُؤْمِنِیْنَ ۟۠
(ऐ बहुदेववादियो!) अगर तुम यह चाहते हो कि अल्लाह अपराधियों व अत्याचारियों पर अपनी यातना उतार दे, तो अल्लाह ने तुमपर वह यातना उतार दी है, जो तुमने माँगी थी। क्योंकि वह तुम्हें ऐसी सज़ा दे चुका है, जो तुम्हारे लिए शिक्षाप्रद और अल्लाह का भय रखने वालों के लिए नसीहत (इबरत) का कारण है। और यदि तुम इसकी माँग से बाज़ आ जाओ, तो यह तुम्हारे लिए उत्तम है। क्योंकि हो सकता है कि अल्लाह तुम्हें मोहलत दे दे और तुमसे बदला लेने में जल्दी न करे। और अगर तुम दोबारा उसकी माँग करने और मुसलमानों से युद्ध करने की ओर लौट आए, तो हम फिर से तुम्हें यातना में डालेंगे और मोमिनों को विजय प्रदान करेंगे। और तुम्हारा जत्था और तुम्हारे सहायक, चाहे वे बहुत अधिक संख्या एवं उपकरण वाले हों और ईमान वालों की संख्या कम हो, तुम्हारे कुछ काम न आएँगे। और इसलिए कि निश्चय अल्लाह की सहायता और समर्थन मोमिनों के साथ है। और जिसके साथ अल्लाह हो, उसे कोई पराजित नहीं कर सकता।
عربي تفسیرونه:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اَطِیْعُوا اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ وَلَا تَوَلَّوْا عَنْهُ وَاَنْتُمْ تَسْمَعُوْنَ ۟
ऐ अल्लाह पर ईमान लाने और उसके रसूल का अनुसरण करने वालो! अल्लाह की आज्ञा का पालन और उसके रसूल की आज्ञा का पालन, उसके आदेशों पर अमल करके और उसकी मना की हुई चीज़ों से दूर रहकर, करो। तथा उसके आदेश की अवहेलना करके और उसके मना किए हुए कार्य को करके, उससे मुँह न फेरो, जबकि तुम अल्लाह की आयतों को सुनते हो, जो तुम्हारे सामने पढ़ी जाती हैं।
عربي تفسیرونه:
وَلَا تَكُوْنُوْا كَالَّذِیْنَ قَالُوْا سَمِعْنَا وَهُمْ لَا یَسْمَعُوْنَ ۟ۚ
और (ऐ मोमिनो!) तुम उन मुनाफ़िक़ों और मुश्रिकों की तरह न हो जाओ, जिनके सामने हमारी आयतें पढ़ी जाती हैं तो वे कहते हैं : हमने अपने कानों से वह क़ुरआन सुना, जो हमारे सामने पढ़ा जाता है, हालाँकि वे चिंतन करने और उपदेश ग्रहण करने के उद्देश्य से नहीं सुनते, कि जो कुछ उन्होंने सुना है उससे लाभ उठाएँ।
عربي تفسیرونه:
اِنَّ شَرَّ الدَّوَآبِّ عِنْدَ اللّٰهِ الصُّمُّ الْبُكْمُ الَّذِیْنَ لَا یَعْقِلُوْنَ ۟
अल्लाह के निकट धरती पर चलने वाली सारी मख़लूक़ में सबसे बुरे वे बहरे हैं, जो सत्य को स्वीकार करने के लिए नहीं सुनते, वे गूँगे हैं, जो बोल नहीं पाते। क्योंकि वे ऐसे लोग हैं जो अल्लाह के आदेशों और निषेधों को नहीं समझते।
عربي تفسیرونه:
وَلَوْ عَلِمَ اللّٰهُ فِیْهِمْ خَیْرًا لَّاَسْمَعَهُمْ ؕ— وَلَوْ اَسْمَعَهُمْ لَتَوَلَّوْا وَّهُمْ مُّعْرِضُوْنَ ۟
और अगर अल्लाह जानता कि इन झुठलाने वाले बहुदेववादियों के अंदर कोई भलाई है, तो उन्हें अवश्य इस तरह सुना देता कि वे उससे लाभ उठाते और उसके तर्कों और प्रमाणों को समझते, लेकिन उसे पता है कि उनके अंदर कोई भलाई नहीं है। और अगर (मान लिया जाए कि) अल्लाह उन्हें सुना देता, तो भी वे हठ के कारण ईमान से फिर जाते, इस हाल में कि वे मुँह फेरने वाले होते।
عربي تفسیرونه:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوا اسْتَجِیْبُوْا لِلّٰهِ وَلِلرَّسُوْلِ اِذَا دَعَاكُمْ لِمَا یُحْیِیْكُمْ ۚ— وَاعْلَمُوْۤا اَنَّ اللّٰهَ یَحُوْلُ بَیْنَ الْمَرْءِ وَقَلْبِهٖ وَاَنَّهٗۤ اِلَیْهِ تُحْشَرُوْنَ ۟
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने और उसके रसूल का अनुसरण करने वालो ! अल्लाह और उसके रसूल की पुकार का, उनके आदेशों का पालन करके और उनके निषेधों से बचकर जवाब दो, जब रसूल तुम्हें उस सत्य के लिए बुलाएँ, जिसमें तुम्हारा जीवन है। और इस बात से सुनिश्चित हो जाओ कि अल्लाह हर चीज़ की शक्ति रखता है। चुनाँचे वह इस बात की शक्ति रखता है कि यदि तुम सत्य को अस्वीकार करने के बाद उसे मानना चाहो तो वह तुम्हारे और सत्य को मानने के बीच रुकावट बन जाए। इसलिए सत्य को स्वीकार करने में जल्दी करो। और इस बात का यक़ीन रखो कि तुम क़ियामत के दिन अकेले अल्लाह ही के पास एकत्र किए जाओगे। फिर वह तुम्हें तुम्हारे दुनिया में किए हुए कर्मों का बदला देगा।
عربي تفسیرونه:
وَاتَّقُوْا فِتْنَةً لَّا تُصِیْبَنَّ الَّذِیْنَ ظَلَمُوْا مِنْكُمْ خَآصَّةً ۚ— وَاعْلَمُوْۤا اَنَّ اللّٰهَ شَدِیْدُ الْعِقَابِ ۟
और (ऐ ईमान वालो!) उस यातना से बचो, जो तुममें से केवल उसी पर नहीं आएगी, जो पापी है, बल्कि उसके साथ-साथ दूसरे लोग भी उसकी चपेट में आएँगे। यह उस समय होगा, जब अत्याचार प्रकट होगा और उसे दूर नहीं किया जाएगा। और यक़ीन मानो कि अल्लाह अपनी अवज्ञा करने वाले को सख़्त सज़ा देने वाला है। अतः उसकी अवज्ञा से बचो।
عربي تفسیرونه:
په دې مخ کې د ایتونو د فایدو څخه:
• من كان الله معه فهو المنصور وإن كان ضعيفًا قليلًا عدده، وهذه المعية تكون بحسب ما قام به المؤمنون من أعمال الإيمان.
• जिसके साथ अल्लाह होता है, वही विजयी रहता है, भले ही वह कमज़ोर हो और संख्या में कम हो। और अल्लाह का यह साथ उसी अनुपात में प्राप्त होता है, जिस अनुपात में मोमिन ईमान के कार्य करते हैं।

• المؤمن مطالب بالأخذ بالأسباب المادية، والقيام بالتكليف الذي كلفه الله، ثم يتوكل على الله، ويفوض الأمر إليه، أما تحقيق النتائج والأهداف فهو متروك لله عز وجل.
• मोमिन को चाहिए कि भौतिक कारणों को अपनाए और उस ज़िम्मेदारी का निर्वहन करे जिसका अल्लाह ने उसे बाध्य किया है, फिर वह अल्लाह पर भरोसा करे और अपने मामले को अल्लाह के हवाले कर दे। जहाँ तक परिणाम और लक्ष्यों को प्राप्त करने का संबंध है, तो वह अल्लाह सर्वशक्तिमान पर निर्भर है।

• في الآيات دليل على أن الله تعالى لا يمنع الإيمان والخير إلا عمَّن لا خير فيه، وهو الذي لا يزكو لديه هذا الإيمان ولا يثمر عنده.
• इन आयतों में इस बात का प्रमाण है कि अल्लाह ईमान और भलाई से केवल उसी को वंचित करता है, जिसके अंदर कोई भलाई न हो। यह वह व्यक्ति है, जिसका ईमान शुद्ध नहीं होता और न ही उसे इससे कोई फ़ायदा होता है।

• على العبد أن يكثر من الدعاء: يا مقلب القلوب ثبِّت قلبي على دينك، يا مُصرِّف القلوب اصرف قلبي إلى طاعتك.
• बंदे को अधिक से अधिक यह दुआ पढ़ना चाहिए : يا مقلب القلوب ثبِّت قلبي على دينك، يا مُصرِّف القلوب اصرف قلبي إلى طاعتك (ऐ दिलों को पलटने वाले! मेरे दिल को अपने दीन पर जमाए रख, ऐ दिलों को फेरने वाले! मेरे दिल को अपने आज्ञापालन की ओर फेर दे।)

• أَمَرَ الله المؤمنين ألا يُقِرُّوا المنكر بين أظهرهم فيعُمَّهم العذاب.
• अल्लाह ने मोमिनों को आदेश दिया है कि वे अपने बीच बुराई को स्वीकार न करें। अन्यथा वे सभी यातना की चपेट में आ जाएँगे।

 
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د مرکز تفسیر للدراسات القرآنیة لخوا خپور شوی.

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