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د قرآن کریم د معناګانو ژباړه - هندي ژبې ته د المختصر في تفسیر القرآن الکریم ژباړه. * - د ژباړو فهرست (لړلیک)


د معناګانو ژباړه سورت: انعام   آیت:
وَلَوْ جَعَلْنٰهُ مَلَكًا لَّجَعَلْنٰهُ رَجُلًا وَّلَلَبَسْنَا عَلَیْهِمْ مَّا یَلْبِسُوْنَ ۟
यदि हम उनकी ओर भेजे हुए रसूल को फ़रिश्ता बनाते, तो निश्चय हम उसे मनुष्य का रूप देते, ताकि वे उसकी बात सुन सकें और उससे ग्रहण कर सकें; क्योंकि वे फ़रिश्ते के साथ ऐसा नहीं कर सकते हैं यदि वह अपने उस रूप में हो जिसपर अल्लाह ने उसे बनाया है। और यदि हम उसे किसी आदमी के रूप में बनाते, तो अवश्य उसका मामला उनके लिए संदिग्ध हो जाता।
عربي تفسیرونه:
وَلَقَدِ اسْتُهْزِئَ بِرُسُلٍ مِّنْ قَبْلِكَ فَحَاقَ بِالَّذِیْنَ سَخِرُوْا مِنْهُمْ مَّا كَانُوْا بِهٖ یَسْتَهْزِءُوْنَ ۟۠
यदि ये लोग आपके साथ एक फ़रिश्ता उतारने की माँग करके उपहास करते हैं, तो निश्चय आपसे पहले कई समुदायों ने अपने रसूलों का उपहास किया था। तो उन्हें उस यातना ने घेर लिया, जिसका वे इनकार करते थे, और उससे डराए जाने पर उसका मज़ाक उड़ाते थे।
عربي تفسیرونه:
قُلْ سِیْرُوْا فِی الْاَرْضِ ثُمَّ اَنْظُرُوْا كَیْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُكَذِّبِیْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप इन उपहास करने वाले झुठलाने वाले लोगों से कह दें : धरती में चलो-फिरो, फिर विचार करो कि अल्लाह के रसूलों को झुठलाने वालों का अंत कैसे हुआ। निश्चय उनपर अल्लाह की यातना उतरी इसके उपरांत कि वे अति शक्तिशाली और अजेय थे।
عربي تفسیرونه:
قُلْ لِّمَنْ مَّا فِی السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— قُلْ لِّلّٰهِ ؕ— كَتَبَ عَلٰی نَفْسِهِ الرَّحْمَةَ ؕ— لَیَجْمَعَنَّكُمْ اِلٰی یَوْمِ الْقِیٰمَةِ لَا رَیْبَ فِیْهِ ؕ— اَلَّذِیْنَ خَسِرُوْۤا اَنْفُسَهُمْ فَهُمْ لَا یُؤْمِنُوْنَ ۟
(ऐ रसूल!) उनसे पूछिए : आकाशों तथा धरती की बादशाही और जो कुछ उन दोनों के बीच है, उसकी बादशाही किसकी है? आप कह दें : उन सब की बादशाही अल्लाह की है। उसने अपने बंदों पर अनुग्रह करते हुए अपने ऊपर दया करना लिख दिया है। इसलिए वह उन्हें यातना देने में जल्दी नहीं करता। यहाँ तक कि अगर उन्होंने तौबा नहीं की तो अल्लाह उन सभी को क़ियामत के दिन इकट्ठा करेगा, जिस दिन के बारे में कोई संदेह नहीं है। जिन लोगों ने अल्लाह का इनकार कर अपने आपको घाटे में डाला, वे ईमान नहीं लाते हैं, कि ख़ुद को घाटे से बचा सकें।
عربي تفسیرونه:
وَلَهٗ مَا سَكَنَ فِی الَّیْلِ وَالنَّهَارِ ؕ— وَهُوَ السَّمِیْعُ الْعَلِیْمُ ۟
रात और दिन में जो कुछ बस रहा है, सबका मालिक अकेला अल्लाह है। तथा वह उनकी बातों को सुनने वाला, उनके कर्मों को जानने वाला है और वह उन्हें उनका प्रतिफल देगा।
عربي تفسیرونه:
قُلْ اَغَیْرَ اللّٰهِ اَتَّخِذُ وَلِیًّا فَاطِرِ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَهُوَ یُطْعِمُ وَلَا یُطْعَمُ ؕ— قُلْ اِنِّیْۤ اُمِرْتُ اَنْ اَكُوْنَ اَوَّلَ مَنْ اَسْلَمَ وَلَا تَكُوْنَنَّ مِنَ الْمُشْرِكِیْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप उन मुश्रिकों से कह दें, जो अल्लाह के साथ उसके अलावा मूर्तियों और अन्य चीज़ों की पूजा करते हैं : क्या यह बात विवेक संगत है कि मैं अल्लाह के अलावा किसी अन्य को सहायक बना लूँ, जिससे प्रेम करूँ और सहायता माँगूँ?! जबकि वह अल्लाह ही है, जिसने आकाशों और धरती को बिना किसी पूर्व उदाहरण के बनाया, चुनाँचे उससे पहले उन्हें किसी ने नहीं बनाया। तथा वही है, जो अपने बंदों में से जिसे चाहता है, जीविका प्रदान करता है। तथा उसके बंदों में से कोई भी उसे जीविका नहीं देता। क्योंकि वह अपने बंदों से बे-नियाज़ है (उसे किसी की आवश्यकता नहीं), जबकि उसके बंदे उसके ज़रूरतमंद हैं। (ऐ रसूल!) आप कह दें कि मेरे पालनहार ने मुझे आदेश दिया है कि मैं इस उम्मत में से सबसे पहले उसका आज्ञाकारी बन जाऊँ और मुझे उन लोगों में शामिल होने से रोका है, जो उसके साथ दूसरों को शरीक बनाते हैं।
عربي تفسیرونه:
قُلْ اِنِّیْۤ اَخَافُ اِنْ عَصَیْتُ رَبِّیْ عَذَابَ یَوْمٍ عَظِیْمٍ ۟
(ऐ रसूल!) आप कह दें : मुझे डर है कि अगर मैं उन चीज़ों को करके जो अल्लाह ने मुझपर हराम की हैं, जैसे शिर्क इत्यादि, या उन चीज़ों को त्याग करके जिनका अल्लाह ने मुझे आदेश दिया है, जैसे ईमान और आज्ञाकारिता के अन्य कार्य, अल्लाह की अवज्ञा करूँ, तो वह मुझे क़ियामत के दिन बहुत बड़ी यातना देगा।
عربي تفسیرونه:
مَنْ یُّصْرَفْ عَنْهُ یَوْمَىِٕذٍ فَقَدْ رَحِمَهٗ ؕ— وَذٰلِكَ الْفَوْزُ الْمُبِیْنُ ۟
जिस व्यक्ति से अल्लाह क़ियामत के दिन उस यातना को दूर कर देता है, तो निश्चय वह अपने आप पर अल्लाह की दया के साथ सफल हो गया, तथा यातना से यह मुक्ति ही वह स्पष्ट सफलता है, जिसके बराबर कोई सफलता नहीं है।
عربي تفسیرونه:
وَاِنْ یَّمْسَسْكَ اللّٰهُ بِضُرٍّ فَلَا كَاشِفَ لَهٗۤ اِلَّا هُوَ ؕ— وَاِنْ یَّمْسَسْكَ بِخَیْرٍ فَهُوَ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ قَدِیْرٌ ۟
(ऐ आदम के बेटे!) यदि अल्लाह की ओर से तुमपर कोई विपत्ति आ पड़े, तो अल्लाह के अलावा कोई भी उस विपत्ति को तुमसे टालने वाला नहीं है, और यदि उसकी ओर से तुम्हें कोई भलाई पहुँचे, तो उसके अनुग्रह को कोई हटाने वाला नहीं है। क्योंकि वह सब कुछ करने में सक्षम है, उसे कोई चीज़ विवश नहीं कर सकती।
عربي تفسیرونه:
وَهُوَ الْقَاهِرُ فَوْقَ عِبَادِهٖ ؕ— وَهُوَ الْحَكِیْمُ الْخَبِیْرُ ۟
वह अपने बंदों पर ग़ालिब (हावी) और उन्हें अपने अधीन रखने वाला है, हर प्रकार से उनसे ऊपर है। उसे कोई चीज़ विवश नहीं कर सकती और न कोई उसे पराजित कर सकता है। हर कोई उसके अधीन है। वह अपने बंदों के ऊपर है जैसा कि उसकी महिमा के योग्य है। वह अपनी रचना, प्रबंधन और विधान में पूर्ण हिकमत वाला, हर चीज़ की ख़बर रखने वाला है। अतः उससे कुछ भी छिपा नहीं है।
عربي تفسیرونه:
په دې مخ کې د ایتونو د فایدو څخه:
• بيان حكمة الله تعالى في إرسال كل رسول من جنس من يرسل إليهم؛ ليكون أبلغ في السماع والوعي والقبول عنه.
• हर जाति की ओर उन्हीं के वर्ग से रसूल भेजने में अल्लाह की हिकमत का वर्णन; ताकि यह उसकी बात को सुनने, समझने और स्वीकार करने में अधिक परिपूर्ण एवं व्यापक हो।

• الدعوة للتأمل في أن تكرار سنن الأوّلين في العصيان قد يقابله تكرار سنن الله تعالى في العقاب.
• इस बात पर विचार करने का निमंत्रण कि अवज्ञा में पहले लोगों के चलन को दोहराने के मुक़ाबिले में सज़ा देने में अल्लाह सर्वशक्तिमान का नियम दोहराया जा सकता है।

• وجوب الخوف من المعصية ونتائجها.
• पाप और उसके परिणामों से डरने की अनिवार्यता।

• أن ما يصيب البشر من بلاء ليس له صارف إلا الله، وأن ما يصيبهم من خير فلا مانع له إلا الله، فلا رَادَّ لفضله، ولا مانع لنعمته.
• मनुष्य पर जो विपत्ति आती है, उसे अल्लाह के सिवा कोई दूर करने वाला नहीं और उन्हें जो भलाई पहुँचती है, उसे अल्लाह के सिवा कोई रोकने वाला नहीं। इस तरह न कोई अल्लाह के अनुग्रह को फेरने वाला है और न कोई उसकी नेमत को रोकने वाला है।

 
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