Check out the new design

د قرآن کریم د معناګانو ژباړه - هندي ژبې ته د المختصر في تفسیر القرآن الکریم ژباړه. * - د ژباړو فهرست (لړلیک)


د معناګانو ژباړه سورت: بقره   آیت:
وَلَمَّا جَآءَهُمْ كِتٰبٌ مِّنْ عِنْدِ اللّٰهِ مُصَدِّقٌ لِّمَا مَعَهُمْ ۙ— وَكَانُوْا مِنْ قَبْلُ یَسْتَفْتِحُوْنَ عَلَی الَّذِیْنَ كَفَرُوْا ۚ— فَلَمَّا جَآءَهُمْ مَّا عَرَفُوْا كَفَرُوْا بِهٖ ؗ— فَلَعْنَةُ اللّٰهِ عَلَی الْكٰفِرِیْنَ ۟
जब उनके पास अल्लाह की ओर से क़ुरआन आया, जो सही सामान्य सिद्धांतों में उसके अनुरूप है, जो कुछ तौरात तथा इन्जील में है। जबकि वे इसके उतरने से पहले कहा करते थे : हम बहुदेववादियों पर विजयी होंगे और हमें जीत प्राप्त होगी जब एक नबी भेजा जाएगा, जिसपर हम ईमान लाएँगे और उसका अनुसरण करेंगे। फिर जब क़ुरआन और मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम उस विशेषता के साथ आ गए, जिसे उन्होंने पहचान लिया और उस सत्य के साथ, जिसे उन्होंने जान लिया; तो उन्होंने उसके साथ कुफ़्र किया। अतः अल्लाह और उसके रसूल के साथ कुफ़्र करने वालों पर अल्लाह की ला'नत है।
عربي تفسیرونه:
بِئْسَمَا اشْتَرَوْا بِهٖۤ اَنْفُسَهُمْ اَنْ یَّكْفُرُوْا بِمَاۤ اَنْزَلَ اللّٰهُ بَغْیًا اَنْ یُّنَزِّلَ اللّٰهُ مِنْ فَضْلِهٖ عَلٰی مَنْ یَّشَآءُ مِنْ عِبَادِهٖ ۚ— فَبَآءُوْ بِغَضَبٍ عَلٰی غَضَبٍ ؕ— وَلِلْكٰفِرِیْنَ عَذَابٌ مُّهِیْنٌ ۟
बहुत बुरी है वह चीज़ जिसे उन्होंने अल्लाह और उसके रसूलों पर ईमान के बदले ले लिया; चुनाँचे उन्होंने अल्लाह की उतारी हुई शरीयत का इनकार कर दिया और उसके रसूलों को झुठलाया, केवल इस कारण अन्याय और ईर्ष्या करते हुए कि नुबुव्वत (पैगंबरी) और क़ुरआन को मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर अवतरित किया गया है। अतः मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का इनकार करने और इससे पहले तौरात में फेर-बदल करने के कारण, वे अल्लाह की ओर से दोहरे क्रोध के भागी बन गए। तथा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नुबुव्वत का इनकार करने वालों के लिए क़ियामत के दिन अपमानजनक यातना है।
عربي تفسیرونه:
وَاِذَا قِیْلَ لَهُمْ اٰمِنُوْا بِمَاۤ اَنْزَلَ اللّٰهُ قَالُوْا نُؤْمِنُ بِمَاۤ اُنْزِلَ عَلَیْنَا وَیَكْفُرُوْنَ بِمَا وَرَآءَهٗ ۗ— وَهُوَ الْحَقُّ مُصَدِّقًا لِّمَا مَعَهُمْ ؕ— قُلْ فَلِمَ تَقْتُلُوْنَ اَنْۢبِیَآءَ اللّٰهِ مِنْ قَبْلُ اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِیْنَ ۟
जब इन यहूदियों से कहा जाता है : उस सत्य और हिदायत पर ईमान ले आओ, जो अल्लाह ने अपने रसूल पर उतारी है। तो वे कहते हैं : हम उसपर ईमान रखते हैं, जो हमारे नबियों पर उतारा गया है। तथा वे उसका इनकार करते हैं जो मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर उतारा गया है। हालाँकि यह क़ुरआन ही सत्य है, जो उसके अनुरूप है जो अल्लाह की ओर से उनके पास है। और यदि वे वास्तव में उस पर ईमान रखते होते, जो उन पर उतारा गया है, तो वे क़ुरआन पर अवश्य ईमान लाते। (ऐ नबी!) आप उनके जवाब में कह दें : तुम इससे पहले नबियों की हत्या क्यों किया करते थे, यदि तुम उस सत्य पर सही मायने में ईमान रखने वाले थे, जो वे तुम्हारे पास लेकर आए थे?!
عربي تفسیرونه:
وَلَقَدْ جَآءَكُمْ مُّوْسٰی بِالْبَیِّنٰتِ ثُمَّ اتَّخَذْتُمُ الْعِجْلَ مِنْ بَعْدِهٖ وَاَنْتُمْ ظٰلِمُوْنَ ۟
निश्चय तुम्हारे रसूल मूसा अलैहिस्सलाम तुम्हारे पास अपने सच्चे नबी होने की पुष्टि करने वाली स्पष्ट निशानियाँ लेकर आए। फिर उसके बाद, जब मूसा अलैहिस्सलाम अपने रब से मिलने चले गए, तो तुम बछड़े को पूज्य बनाकर उसकी पूजा करने लगे। और तुम अल्लाह के साथ साझी ठहराने के कारण अत्याचार करने वाले थे। हालाँकि वही अकेला इबादत के योग्य है, कोई और नहीं।
عربي تفسیرونه:
وَاِذْ اَخَذْنَا مِیْثَاقَكُمْ وَرَفَعْنَا فَوْقَكُمُ الطُّوْرَ ؕ— خُذُوْا مَاۤ اٰتَیْنٰكُمْ بِقُوَّةٍ وَّاسْمَعُوْا ؕ— قَالُوْا سَمِعْنَا وَعَصَیْنَا ۗ— وَاُشْرِبُوْا فِیْ قُلُوْبِهِمُ الْعِجْلَ بِكُفْرِهِمْ ؕ— قُلْ بِئْسَمَا یَاْمُرُكُمْ بِهٖۤ اِیْمَانُكُمْ اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِیْنَ ۟
तथा उस समय को याद करो, जब हमने तुमसे मूसा अलैहिस्सलाम का अनुसरण करने और जो कुछ वह अल्लाह के पास से लाए हैं उसे क़बूल करने का पक्का वचन लिया। हमने तुम्हें डराने के लिए तुम्हारे ऊपर पहाड़ उठा लिया, और हमने तुमसे कहा : हमने तुम्हें जो तौरात दिया है उसे पूरी ताक़त से पकड़ लो, तथा स्वीकार करने और पालन करने के उद्देश्य से सुनो; अन्यथा हम तुम्हारे ऊपर पहाड़ को गिरा देंगे। तो तुमने कहा : हमने अपने कानों से सुना और हमने अपने कार्यों से अवज्ञा की। और उनके कुफ़्र के कारण उनके दिलों में बछड़े की पूजा घर कर चुकी थी। ऐ नबी! आप कह दीजिए : बहुत बुरा है वह काम (अल्लाह के साथ कुफ़्र), जिसका आदेश तुम्हें यह ईमान दे रहा है, यदि तुम ईमान वाले हो; क्योंकि सच्चे ईमान के साथ कुफ़्र इकट्ठा नहीं हो सकता।
عربي تفسیرونه:
په دې مخ کې د ایتونو د فایدو څخه:
• اليهود أعظم الناس حسدًا؛ إذ حملهم حسدهم على الكفر بالله وردِّ ما أنزل، بسبب أن الرسول صلى الله عليه وسلم لم يكن منهم.
• यहूदी लोगों में सबसे अधिक ईर्ष्या करने वाले हैं; क्योंकि उनकी ईर्ष्या ने उन्हें केवल इस कारण अल्लाह के साथ कुफ़्र करने और उसकी उतारी हुई पुस्तक (क़ुरआन) को अस्वीकार करने पर आमादा कर दिया कि रसूल - सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम - उनमें से नहीं थे।

• أن الإيمان الحق بالله تعالى يوجب التصديق بكل ما أَنزل من كتب، وبجميع ما أَرسل من رسل.
• अल्लाह तआला पर सच्चा ईमान उसकी उतारी हुई सभी पुस्तकों और उसके भेजे हुए सभी रसूलों पर ईमान रखने को अनिवार्य कर देता है।

• من أعظم الظلم الإعراض عن الحق والهدى بعد معرفته وقيام الأدلة عليه.
• सबसे बड़े अत्याचार में से एक सत्य एवं मार्गदर्शन से, उसे जान लेने और उसके लिए सबूत स्थापित हो जाने के बाद, मुँह मोड़ना है।

• من عادة اليهود نقض العهود والمواثيق، وهذا ديدنهم إلى اليوم.
• वचनों और प्रतिज्ञाओं को तोड़ना यहूदियों की आदत है, और आज तक वे अपनी इस आदत पर क़ायम हैं।

 
د معناګانو ژباړه سورت: بقره
د سورتونو فهرست (لړلیک) د مخ نمبر
 
د قرآن کریم د معناګانو ژباړه - هندي ژبې ته د المختصر في تفسیر القرآن الکریم ژباړه. - د ژباړو فهرست (لړلیک)

د مرکز تفسیر للدراسات القرآنیة لخوا خپور شوی.

بندول