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ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߟߊߘߛߏߣߍ߲" ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐߦߌߘߊ ߘߐ߫ ߤߌߣߘߌߞߊ߲ ߘߐ߫ * - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ


ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߟߊ߬ߥߟߌ߬ߟߌ   ߟߝߊߙߌ ߘߏ߫:
فَكَانَ عَاقِبَتَهُمَاۤ اَنَّهُمَا فِی النَّارِ خَالِدَیْنِ فِیْهَا ؕ— وَذٰلِكَ جَزٰٓؤُا الظّٰلِمِیْنَ ۟۠
अतः शैतान और उसकी बात मानने वाले इनसान, दोनों का अंतिम परिणाम यह हुआ कि दोनों क़ियामत के दिन जहन्नम में जाएँगे, जिसमें हमेशा के लिए रहेंगे। और यह प्रतिफल जो उन दोनों की प्रतीक्षा कर रहा है, यही उन लोगों का बदला है, जो अल्लाह की मर्यादाओं को लांघ कर अपने आपपर अत्याचार करने वाले हैं।
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یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوا اتَّقُوا اللّٰهَ وَلْتَنْظُرْ نَفْسٌ مَّا قَدَّمَتْ لِغَدٍ ۚ— وَاتَّقُوا اللّٰهَ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ خَبِیْرٌ بِمَا تَعْمَلُوْنَ ۟
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने और उसकी शरीयत पर अमल करने वालो! अल्लाह से, उसके आदेशों का पालन करते हुए और उसके निषेधों से बचते हुए, डरते रहो। और हर आदमी यह विचार करे कि उसने क़ियामत के दिन के लिए क्या नेक कार्य आगे भेजा है। तथा अल्लाह से डरो। निश्चय वह तुम्हारे कर्मों से अच्छी तरह अवगत है। उससे तुम्हारा कोई कार्य छिपा नहीं है। और वह तुम्हें तुम्हारे कर्मों का बदला देगा।
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وَلَا تَكُوْنُوْا كَالَّذِیْنَ نَسُوا اللّٰهَ فَاَنْسٰىهُمْ اَنْفُسَهُمْ ؕ— اُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْفٰسِقُوْنَ ۟
और उन लोगों की तरह न हो जाओ, जिन्होंने अल्लाह को, उसके आदेशों का पालन करना और उसके निषेधों से बचना छोड़कर, भुला दिया। तो अल्लाह ने उन्हें ऐसा कर दिया कि वे अपने आप ही को भूल गए। चुनाँचे उन्होंने अपने आपको अल्लाह के क्रोध और उसके दंड से बचाने के लिए कार्य नहीं किया। यही लोग, जिन्होंने अल्लाह को भुला दिया - चुनाँचे उसके आदेश का पालन नहीं किया और उसके निषेध से नहीं बचे - अल्लाह की आज्ञाकारिता से बाहर निकलने वाले हैं।
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لَا یَسْتَوِیْۤ اَصْحٰبُ النَّارِ وَاَصْحٰبُ الْجَنَّةِ ؕ— اَصْحٰبُ الْجَنَّةِ هُمُ الْفَآىِٕزُوْنَ ۟
जहन्नम वाले और जन्नत वाले बराबर नहीं हो सकते। बल्कि जैसे दुनिया में उनके कर्म अलग-अलग थे, वैसे ही आख़िरत में उनके प्रतिफल अलग-अलग होंगे। जन्नत वाले लोग ही अपनी इच्छित चीज़ों को प्राप्त करने और अपने भय की चीज़ों से बचने में सफल लोग हैं।
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لَوْ اَنْزَلْنَا هٰذَا الْقُرْاٰنَ عَلٰی جَبَلٍ لَّرَاَیْتَهٗ خَاشِعًا مُّتَصَدِّعًا مِّنْ خَشْیَةِ اللّٰهِ ؕ— وَتِلْكَ الْاَمْثَالُ نَضْرِبُهَا لِلنَّاسِ لَعَلَّهُمْ یَتَفَكَّرُوْنَ ۟
अगर हमने इस क़ुरआन को किसी पहाड़ पर उतारा होता, तो (ऐ रसूल!) आप देखते कि वह पहाड़ अपनी कठोरता के बावजूद, अल्लाह के भय की गंभीरता से दब कर टूट जाता; क्योंकि उसमें निरोधात्मक उपदेश और कड़ी चेतावनियाँ हैं। ये उदाहरण हम लोगों के लिए इसलिए बयान करते हैं, ताकि वे अपनी बुद्धियों से काम लें और इस क़ुरआन की आयतों में जो उपदेश और शिक्षाएँ हैं, उनसे सीख प्राप्त करें।
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هُوَ اللّٰهُ الَّذِیْ لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ ۚ— عٰلِمُ الْغَیْبِ وَالشَّهَادَةِ ۚ— هُوَ الرَّحْمٰنُ الرَّحِیْمُ ۟
22 - 23 - वही अल्लाह है, जिसके सिवा कोई सत्य पूज्य नहीं, वह परोक्ष तथा प्रत्यक्ष का जानने वाला है, उसमें से कुछ भी उससे छिपा नहीं है। वह दुनिया तथा आख़िरत में अत्यंत दयावान् और असीम दया करने वाला है, उसकी दया सभी लोकों पर विस्तारित है, वह बादशाह है, हर कमी से पाक और पवित्र है, हर दोष से रहित है। स्पष्ट निशानियों (चमत्कारों) के द्वारा अपने रसूलों की पुष्टि करने वाला है, अपने बंदों के कर्मों पर निरीक्षक है, सब पर प्रभुत्वशाली है, जिसपर कोई विजय प्राप्त नहीं कर सकता, शक्तिशाली है जिसने हर वस्तु को अपनी शक्ति से वशीभूत कर रखा है, बहुत बड़ाई वाला है। अल्लाह उन मूर्तियों आदि से पवित्र है, जिन्हें मुश्रिक लोग उसके साथ साझी बनाते हैं।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
هُوَ اللّٰهُ الَّذِیْ لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ ۚ— اَلْمَلِكُ الْقُدُّوْسُ السَّلٰمُ الْمُؤْمِنُ الْمُهَیْمِنُ الْعَزِیْزُ الْجَبَّارُ الْمُتَكَبِّرُ ؕ— سُبْحٰنَ اللّٰهِ عَمَّا یُشْرِكُوْنَ ۟
22 - 23 - वही अल्लाह है, जिसके सिवा कोई सत्य पूज्य नहीं, वह परोक्ष तथा प्रत्यक्ष का जानने वाला है, उसमें से कुछ भी उससे छिपा नहीं है। वह दुनिया तथा आख़िरत में अत्यंत दयावान् और असीम दया करने वाला है, उसकी दया सभी लोकों पर विस्तारित है, वह बादशाह है, हर कमी से पाक और पवित्र है, हर दोष से रहित है। स्पष्ट निशानियों (चमत्कारों) के द्वारा अपने रसूलों की पुष्टि करने वाला है, अपने बंदों के कर्मों पर निरीक्षक है, सब पर प्रभुत्वशाली है, जिसपर कोई विजय प्राप्त नहीं कर सकता, शक्तिशाली है जिसने हर वस्तु को अपनी शक्ति से वशीभूत कर रखा है, बहुत बड़ाई वाला है। अल्लाह उन मूर्तियों आदि से पवित्र है, जिन्हें मुश्रिक लोग उसके साथ साझी बनाते हैं।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
هُوَ اللّٰهُ الْخَالِقُ الْبَارِئُ الْمُصَوِّرُ لَهُ الْاَسْمَآءُ الْحُسْنٰی ؕ— یُسَبِّحُ لَهٗ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ۚ— وَهُوَ الْعَزِیْزُ الْحَكِیْمُ ۟۠
वही अल्लाह रचयिता है, जिसने हर चीज़ की रचना की। वह चीज़ों को अस्तित्व प्रदान करनेवाला है, वह जैसा चाहता है, उसके अनुसार अपनी मखलूक़ात को रूप देने वाला है। उस महिमावान के सबसे सुंदर नाम हैं जो उसकी सर्वोच्च विशेषताओं पर आधारित हैं। हर वह चीज़ जो आकाशों और धरती में है उसके हर कमी से पवित्र और उत्कृष्ट होने का वर्णन करती है, वह प्रभुत्वशाली है, जिसपर कोई विजय प्राप्त नहीं कर सकता, वह अपनी रचना, विधान और निर्णय में ह़िकमत वाला है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
ߟߝߊߙߌ ߟߎ߫ ߢߊ߬ߕߣߐ ߘߏ߫ ߞߐߜߍ ߣߌ߲߬ ߞߊ߲߬:
• من علامات توفيق الله للمؤمن أنه يحاسب نفسه في الدنيا قبل حسابها يوم القيامة.
• मोमिन के लिए अल्लाह की तौफ़ीक़ के संकेतों में से एक यह है कि वह क़ियामत के दिन के हिसाब से पहले इस दुनिया में आत्मसमीक्षा करता रहे।

• في تذكير العباد بشدة أثر القرآن على الجبل العظيم؛ تنبيه على أنهم أحق بهذا التأثر لما فيهم من الضعف.
• बंदों को महान पर्वत पर क़ुरआन के प्रभाव की तीव्रता को याद दिलाने में; इस बात की चेतावनी देना है कि वे अपनी कमज़ोरी के कारण इसके प्रभाव को स्वीकार करने के अधिक योग्य हैं।

• أشارت الأسماء (الخالق، البارئ، المصور) إلى مراحل تكوين المخلوق من التقدير له، ثم إيجاده، ثم جعل له صورة خاصة به، وبذكر أحدها مفردًا فإنه يدل على البقية.
• अल्लाह के ये नाम (पैदा करने वाला, अस्तित्व में लाने वाला, रूप देने वाला) मख़लूक़ की रचना के चरणों को इंगित करते हैं, जैसे कि उसका अनुमान करना, फिर उसे अस्तित्व में लाना, फिर उसे उसका विशेष रूप प्रदान करना। इन नामों में से किसी एक नाम का यदि अकेले उल्लेख किया जाए, तो वह शेष को भी दर्शाता है।

 
ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߟߊ߬ߥߟߌ߬ߟߌ
ߝߐߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ ߞߐߜߍ ߝߙߍߕߍ
 
ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߟߊߘߛߏߣߍ߲" ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐߦߌߘߊ ߘߐ߫ ߤߌߣߘߌߞߊ߲ ߘߐ߫ - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ

ߡߍ߲ ߝߘߊߣߍ߲߫ ߞߎ߬ߙߊ߬ߣߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߕߌߙߌ߲ߠߌ߲ ߝߊ߲ߓߊ ߟߊ߫

ߘߊߕߎ߲߯ߠߌ߲