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ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߟߊߘߛߏߣߍ߲" ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐߦߌߘߊ ߘߐ߫ ߤߌߣߘߌߞߊ߲ ߘߐ߫ * - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ


ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߡߊ߬ߖߐ߯ߙߊ߲   ߟߝߊߙߌ ߘߏ߫:
وَكَذٰلِكَ مَاۤ اَرْسَلْنَا مِنْ قَبْلِكَ فِیْ قَرْیَةٍ مِّنْ نَّذِیْرٍ اِلَّا قَالَ مُتْرَفُوْهَاۤ ۙ— اِنَّا وَجَدْنَاۤ اٰبَآءَنَا عَلٰۤی اُمَّةٍ وَّاِنَّا عَلٰۤی اٰثٰرِهِمْ مُّقْتَدُوْنَ ۟
जिस तरह इन लोगों ने झुठलाया और अपने बाप-दादा का अनुकरण करने को तर्क बनाया, उसी तरह (ऐ रसूल) हमने आपसे पहले जिस बस्ती में भी किसी रसूल को उसकी जाति के लोगों को सावधान करने के लिए भेजा, तो उनके समृद्ध प्रमुखों तथा बड़े लोगों ने कहा : हमने अपने बाप-दादा को एक धर्म और एक मार्ग पर पाया है और हम उन्हीं के पदचिह्नों पर चल रहे हैं। अतः आपकी जाति इस मामले में कोई अनूठी नहीं है।
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قٰلَ اَوَلَوْ جِئْتُكُمْ بِاَهْدٰی مِمَّا وَجَدْتُّمْ عَلَیْهِ اٰبَآءَكُمْ ؕ— قَالُوْۤا اِنَّا بِمَاۤ اُرْسِلْتُمْ بِهٖ كٰفِرُوْنَ ۟
उनके रसूल ने उनसे कहा : क्या तुम अपने बाप-दादा का अनुसरण करते रहोगे, अगरचे मैं तुम्हारे पास उससे बेहतर मार्ग लाया हूँ जिसपर तुम्हारे बाप-दादा थे? उन्होंने कहा : जो (धर्म) तुम और तुमसे पहले के रसूल देकर भेजे गए हैं, हम उसका इनकार करते हैं।
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فَانْتَقَمْنَا مِنْهُمْ فَانْظُرْ كَیْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُكَذِّبِیْنَ ۟۠
चुनाँचे हमने आपसे पूर्व रसूलों को झुठलाने वाले समुदायों से बदला लिया, सो हमने उन्हें विनष्ट कर दिया। अतः विचार करें कि अपने रसूलों को झुठलाने वालों का अंत कैसा हुआ। वास्तव में, वह एक दर्दनाक अंत था।
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وَاِذْ قَالَ اِبْرٰهِیْمُ لِاَبِیْهِ وَقَوْمِهٖۤ اِنَّنِیْ بَرَآءٌ مِّمَّا تَعْبُدُوْنَ ۟ۙ
(ऐ रसूल!) उस समय को याद करें, जब इबराहीम अलैहिस्सलाम ने अपने बाप और अपनी जाति से कहा : तुम अल्लाह के सिवा जिन मूर्तियों को पूजते हो, मैं उनसे बरी हूँ।
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اِلَّا الَّذِیْ فَطَرَنِیْ فَاِنَّهٗ سَیَهْدِیْنِ ۟
सिवाय उस अल्लाह के, जिसने मुझे पैदा किया है। अतः निःसंदेह वही मुझे अपने सीधे धर्म का पालन करने के लिए मार्गदर्शन करेगा, जिसमें मेरा लाभ निहित है।
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وَجَعَلَهَا كَلِمَةً بَاقِیَةً فِیْ عَقِبِهٖ لَعَلَّهُمْ یَرْجِعُوْنَ ۟
इबराहीम अलैहिस्सालाम ने तौहीद (एकेश्वरवाद) के वाक्य : (ला इलाहा इल्लल्लाह) को, अपने बाद, अपनी संतान में बाक़ी रहने वाला वाक्य बना दिया। चुनाँचे उनके अंदर हमेशा ऐसे लोग रहे हैं, जो अल्लाह को एकमात्र पूज्य मानते हैं और उसके साथ किसी भी चीज़ को साझी नहीं बनाते। इस आशा में कि वे शिर्क और पाप से तौबा करके अल्लाह की ओर लौट आएँ।
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بَلْ مَتَّعْتُ هٰۤؤُلَآءِ وَاٰبَآءَهُمْ حَتّٰی جَآءَهُمُ الْحَقُّ وَرَسُوْلٌ مُّبِیْنٌ ۟
मैंने इन झूठलाने वाले मुश्रिकों को नष्ट करने में जल्दी नहीं की, बल्कि उन्हें दुनिया में बाकी रहने दिया और उनसे पहले उनके बाप-दादा को भी बाकी रहने दिया था, यहाँ तक कि उनके पास क़ुरआन और स्पष्ट रसूल अर्थात मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम आ गए।
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وَلَمَّا جَآءَهُمُ الْحَقُّ قَالُوْا هٰذَا سِحْرٌ وَّاِنَّا بِهٖ كٰفِرُوْنَ ۟
और जब उनके पास यह क़ुरआन आ गया, जो ऐसा सत्य है, जिसमें कोई संदेह नहीं है, तो उन्होंने कहा : यह तो एक जादू है, जिसके द्वारा मुहम्मद हमपर जादू कर देता है। हम तो इसका इनकार करते हैं। अतः हम कदापि इसपर ईमान नहीं लाएँगे।
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وَقَالُوْا لَوْلَا نُزِّلَ هٰذَا الْقُرْاٰنُ عَلٰی رَجُلٍ مِّنَ الْقَرْیَتَیْنِ عَظِیْمٍ ۟
झूठलाने वाले मुश्रिकों ने कहा : अल्लाह ने इस क़ुरआन को मुहम्मद जैसे निर्धन अनाथ पर उतारने के बजाय, मक्का अथवा तायफ़ के दो महान व्यक्तियों में से किसी एक पर क्यों नहीं उतारा?
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اَهُمْ یَقْسِمُوْنَ رَحْمَتَ رَبِّكَ ؕ— نَحْنُ قَسَمْنَا بَیْنَهُمْ مَّعِیْشَتَهُمْ فِی الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا وَرَفَعْنَا بَعْضَهُمْ فَوْقَ بَعْضٍ دَرَجٰتٍ لِّیَتَّخِذَ بَعْضُهُمْ بَعْضًا سُخْرِیًّا ؕ— وَرَحْمَتُ رَبِّكَ خَیْرٌ مِّمَّا یَجْمَعُوْنَ ۟
(ऐ रसूल!) क्या आपके पालनहार की दया को ये लोग बाँटते हैं कि जिसे चाहते हैं देते हैं और जिसे चाहते हैं नहीं देते हैं या अल्लाह बाँटता है? हमने ही दुनिया में उनके बीच उनकी रोज़ी को बाँटा है और उनमें से किसी को धनवान् और किसी को निर्धन बनाया है; ताकि उनमें से कुछ लोग कुछ के अधीन हो जाएँ। और आख़िरत में आपके पालनहार की अपने बंदों के प्रति दया, उससे बेहतर है, जिसे ये लोग इस नश्वर दुनिया के सामान से इकट्ठा कर रहे हैं।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَلَوْلَاۤ اَنْ یَّكُوْنَ النَّاسُ اُمَّةً وَّاحِدَةً لَّجَعَلْنَا لِمَنْ یَّكْفُرُ بِالرَّحْمٰنِ لِبُیُوْتِهِمْ سُقُفًا مِّنْ فِضَّةٍ وَّمَعَارِجَ عَلَیْهَا یَظْهَرُوْنَ ۟ۙ
अगर यह बात न होती कि सभी लोग कुफ़्र की राह पर चल पड़ेंगे, तो हम उन लोगों के घरों की छतों को, जो अल्लाह का इनकार करते हैं, चाँदी की बना देते और उनके लिए सीढ़ियाँ भी बना देते, जिनपर वे चढ़ते।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
ߟߝߊߙߌ ߟߎ߫ ߢߊ߬ߕߣߐ ߘߏ߫ ߞߐߜߍ ߣߌ߲߬ ߞߊ߲߬:
• التقليد من أسباب ضلال الأمم السابقة.
• तक़लीद (अंधानुकरण) पिछले समुदायों की गुमराही के कारणों में से है।

• البراءة من الكفر والكافرين لازمة.
• कुफ़्र और काफ़िरों से बेज़ारी ज़रूरी है।

• تقسيم الأرزاق خاضع لحكمة الله.
• आजीविका का विभाजन अल्लाह की हिकमत के अधीन है।

• حقارة الدنيا عند الله، فلو كانت تزن عنده جناح بعوضة ما سقى منها كافرًا شربة ماء.
• अल्लाह के निकट दुनिया की तुच्छता (हीनता)। चुनाँचे अगर उसके निकट दुनिया का महत्व एक मच्छर के पंख के बराबर भी होता, तो वह उससे किसी काफ़िर को पानी का एक घूँट भी न पिलाता।

 
ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߡߊ߬ߖߐ߯ߙߊ߲
ߝߐߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ ߞߐߜߍ ߝߙߍߕߍ
 
ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߟߊߘߛߏߣߍ߲" ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐߦߌߘߊ ߘߐ߫ ߤߌߣߘߌߞߊ߲ ߘߐ߫ - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ

ߡߍ߲ ߝߘߊߣߍ߲߫ ߞߎ߬ߙߊ߬ߣߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߕߌߙߌ߲ߠߌ߲ ߝߊ߲ߓߊ ߟߊ߫

ߘߊߕߎ߲߯ߠߌ߲