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ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߟߊߘߛߏߣߍ߲" ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐߦߌߘߊ ߘߐ߫ ߤߌߣߘߌߞߊ߲ ߘߐ߫ * - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ


ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߕߌ߲ߓߌߘߌ߲   ߟߝߊߙߌ ߘߏ߫:
وَلَوْ تَرٰۤی اِذِ الْمُجْرِمُوْنَ نَاكِسُوْا رُءُوْسِهِمْ عِنْدَ رَبِّهِمْ ؕ— رَبَّنَاۤ اَبْصَرْنَا وَسَمِعْنَا فَارْجِعْنَا نَعْمَلْ صَالِحًا اِنَّا مُوْقِنُوْنَ ۟
क़ियामत के दिन अपराधी अपमानित दिखाई देंगे, मरणोपरांत दोबारा जीवित होने का इनकार करने के कारण अपने सिर झुकाए हुए होंगे और शर्म महसूस करेंगे और कहेंगे : ऐ हमारे पालनहार! जिस पुनर्जीवन को हम झुठलाते थे, उसे हमने देख लिया, और रसूल तेरे पास से जो कुछ लाए थे, उसकी सच्चाई सुन ली। इसलिए अब हमें सांसारिक जीवन में वापस लौटा दे कि हम ऐसे अच्छे कार्य करें, जो तुझे हमसे प्रसन्न कर दें। अब हमें मरणोपरांत पुनर्जीवन और रसूलों की लाई हुई बातों की सच्चाई का विश्वास हो गया। अगर आप अपराधियों को उस स्थिति में देखेंगे, तो आपको एक भयानक मामला (भयावह स्थिति) दिखाई देगा।
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وَلَوْ شِئْنَا لَاٰتَیْنَا كُلَّ نَفْسٍ هُدٰىهَا وَلٰكِنْ حَقَّ الْقَوْلُ مِنِّیْ لَاَمْلَـَٔنَّ جَهَنَّمَ مِنَ الْجِنَّةِ وَالنَّاسِ اَجْمَعِیْنَ ۟
और अगर हम हर व्यक्ति को मार्गदर्शन देना चाहते तो निश्चित रूप से हम उसे इसपर आमादा कर देते। लेकिन मेरी ओर से हिकमत और न्याय के तौर पर यह बात अनिवार्य हो चुकी है कि : मैं क़ियामत के दिन जिन्न और मानव जाति में से कुफ़्र की राह पर चलने वालों से जहन्नम को अवश्य भर दूँगा, क्योंकि उन्होंने ईमान और धर्म-परायणनता के रास्ते को छोड़कर कुफ़्र और गुमराही का रास्ता चुन लिया।
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فَذُوْقُوْا بِمَا نَسِیْتُمْ لِقَآءَ یَوْمِكُمْ هٰذَا ۚ— اِنَّا نَسِیْنٰكُمْ وَذُوْقُوْا عَذَابَ الْخُلْدِ بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ۟
क़ियामत के दिन उन्हें डाँटते और फटकारते हुए कहा जाएगा : (अब) अपने हिसाब के लिए क़ियामत के दिन अल्लाह से मिलने से सांसारिक जीवन में अपनी लापरवाही के कारण यातना का स्वाद चखो। हमने तुम्हें यातना में छोड़ दिया है, उससे जो तुम पीड़ा झेल रहे हो उसकी हमें कोई परवाह नहीं है। तथा दुनिया में तुम जो पाप किया करते थे, उसके कारण आग की निरंतर यातना चखो, जो कभी समाप्त नहीं होगी।
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اِنَّمَا یُؤْمِنُ بِاٰیٰتِنَا الَّذِیْنَ اِذَا ذُكِّرُوْا بِهَا خَرُّوْا سُجَّدًا وَّسَبَّحُوْا بِحَمْدِ رَبِّهِمْ وَهُمْ لَا یَسْتَكْبِرُوْنَ ۟
हमारे रसूल पर उतारी गई हमारी आयतों पर, वही लोग ईमान लाते हैं, जिन्हें जब उनके द्वारा उपदेश दिया जाता है, तो अल्लाह की प्रशंसा के साथ उसकी पवित्रता का गान करते हुए सजदे में गिर जाते हैं, और वे किसी भी हाल में अल्लाह की इबादत करने या उसके आगे सजदा करने से अभिमान नहीं करते हैं।
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تَتَجَافٰی جُنُوْبُهُمْ عَنِ الْمَضَاجِعِ یَدْعُوْنَ رَبَّهُمْ خَوْفًا وَّطَمَعًا ؗ— وَّمِمَّا رَزَقْنٰهُمْ یُنْفِقُوْنَ ۟
उनके पहलू उनके उन बिस्तरों से अलग रहते हैं, जहाँ वे सोते समय हुआ करते हैं। वे उन्हें छोड़ देते हैं और अल्लाह की ओर ध्यान केंद्रित कर लेते हैं। वे अल्लाह को अपनी नमाज़ में तथा अन्य हालतों में, उसकी यातना के भय से और उसकी दया के लालच में पुकारते हैं। और हमने उन्हें जो धन दिए हैं, उन्हें अल्लाह के मार्ग में खर्च करते हैं।
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فَلَا تَعْلَمُ نَفْسٌ مَّاۤ اُخْفِیَ لَهُمْ مِّنْ قُرَّةِ اَعْیُنٍ ۚ— جَزَآءً بِمَا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟
कोई व्यक्ति यह नहीं जानता कि अल्लाह ने उनके लिए, उन नेक कामों के बदले के रूप में, जो वे दुनिया में किया करते थे, उनकी आँखों की ठंढक के लिए क्या कुछ तैयार कर रखा है। क्योंकि यह इतना बड़ा बदला है कि अल्लाह के सिवा कोई भी उसे अपने ज्ञान के घेरे में नहीं ला सकता।
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اَفَمَنْ كَانَ مُؤْمِنًا كَمَنْ كَانَ فَاسِقًا ؔؕ— لَا یَسْتَوٗنَ ۟
जो व्यक्ति अल्लाह पर ईमान रखता है, उसके आदेशों का पालन करता है, उसके निषेधों से बचता है, वह उस व्यक्ति की तरह नहीं है जो उसकी आज्ञाकारिता से बाहर है। अल्लाह के यहाँ बदले में दोनों समूह बराबर नहीं हो सकते।
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اَمَّا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ فَلَهُمْ جَنّٰتُ الْمَاْوٰی ؗ— نُزُلًا بِمَا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟
जहाँ तक उन लोगों की बात है, जो अल्लाह पर ईमान लाए और अच्छे कार्य किए, तो उनके लिए तैयार किया गया उनका बदला, ऐसे बाग़ हैं, जिसमें वे अल्लाह की ओर से प्राप्त सम्मान के साथ रहेंगे। यह उनके उन नेक कामों का बदला है, जो वे दुनिया में किया करते थे।
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وَاَمَّا الَّذِیْنَ فَسَقُوْا فَمَاْوٰىهُمُ النَّارُ ؕ— كُلَّمَاۤ اَرَادُوْۤا اَنْ یَّخْرُجُوْا مِنْهَاۤ اُعِیْدُوْا فِیْهَا وَقِیْلَ لَهُمْ ذُوْقُوْا عَذَابَ النَّارِ الَّذِیْ كُنْتُمْ بِهٖ تُكَذِّبُوْنَ ۟
और जहाँ तक उन लोगों की बात है, जो कुफ़्र और गुनाहों में पड़कर अल्लाह के आज्ञापालन से निकल गए, तो उनका ठिकाना, जो क़ियामत के दिन उनके लिए तैयार किया गया है, जहन्नम है, जिसमें वे हमेशा रहेंगे। जब भी वे उससे बाहर निकलना चाहेंगे, उसी में लौटा दिए जाएँगे। और उन्हें फटकारते हुए कहा जाएगा : उस आग की यातना चखो, जिसे तुम दुनिया में झुठलाया करते थे, जब तुम्हारे रसूल तुम्हें उससे डराया करते थे।
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ߟߝߊߙߌ ߟߎ߫ ߢߊ߬ߕߣߐ ߘߏ߫ ߞߐߜߍ ߣߌ߲߬ ߞߊ߲߬:
• إيمان الكفار يوم القيامة لا ينفعهم؛ لأنها دار جزاء لا دار عمل.
• क़ियामत के दिन काफ़िरों का ईमान लाना उन्हें कोई लाभ नहीं देगा। क्योंकि वह बदले का घर है, अमल का घर नहीं।

• خطر الغفلة عن لقاء الله يوم القيامة.
• क़ियामत के दिन अल्लाह से मिलने की उपेक्षा का खतरा।

• مِن هدي المؤمنين قيام الليل.
• रात में जागकर नमाज़ पढ़ना ईमान वालों का तरीक़ा है।

 
ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߕߌ߲ߓߌߘߌ߲
ߝߐߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ ߞߐߜߍ ߝߙߍߕߍ
 
ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߟߊߘߛߏߣߍ߲" ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐߦߌߘߊ ߘߐ߫ ߤߌߣߘߌߞߊ߲ ߘߐ߫ - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ

ߡߍ߲ ߝߘߊߣߍ߲߫ ߞߎ߬ߙߊ߬ߣߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߕߌߙߌ߲ߠߌ߲ ߝߊ߲ߓߊ ߟߊ߫

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