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ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߕ߭ߤߊ߫   ߟߝߊߙߌ ߘߏ߫:
قَالَ كَذٰلِكَ اَتَتْكَ اٰیٰتُنَا فَنَسِیْتَهَا ۚ— وَكَذٰلِكَ الْیَوْمَ تُنْسٰی ۟
सर्वशक्तिमान अल्लाह उस व्यक्ति का उत्तर देते हुए कहेगा : तूने दुनिया में ऐसा ही किया था। तेरे पास हमारी आयतें आई थीं, तो तूने उनसे मुँह फेर लिया था और उन्हें छोड़ दिया था। बिलकुल उसी तरह, आज तुझे यातना में छोड़ दिया जाएगा।
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وَكَذٰلِكَ نَجْزِیْ مَنْ اَسْرَفَ وَلَمْ یُؤْمِنْ بِاٰیٰتِ رَبِّهٖ ؕ— وَلَعَذَابُ الْاٰخِرَةِ اَشَدُّ وَاَبْقٰی ۟
इसी तरह का बदला हम उस व्यक्ति को भी देते हैं, जो निषिद्ध इच्छाओं में संलिप्त रहे और अपने पालनहार के स्पष्ट प्रमाणों पर ईमान लाने से उपेक्षा करे। और निश्चय आख़िरत में अल्लाह का अज़ाब दुनिया और बरज़ख़ के तंग जीवन से कहीं अधिक भयानक एवं कठोर और अधिक समय तक रहने वाला है।
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اَفَلَمْ یَهْدِ لَهُمْ كَمْ اَهْلَكْنَا قَبْلَهُمْ مِّنَ الْقُرُوْنِ یَمْشُوْنَ فِیْ مَسٰكِنِهِمْ ؕ— اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیٰتٍ لِّاُولِی النُّهٰی ۟۠
क्या बहुदेववादियों के लिए उन समुदायों की बहुतायत स्पष्ट नहीं हुई, जिन्हें हमने उनसे पहले विनष्ट कर चुके हैं, ये लोग उन विनष्ट किए गए समुदायों के रहने के स्थानों में चलते-फिरते हैं और उन्हें पहुँचने वाले विनाश के प्रभावों को देखते हैं? उन बहुत सारे समुदायों को जिस विध्वंस और विनाश से पीड़ित होना पड़ा, उसमें बुद्धिमानों के लिए निश्चय बहुत-सी इबरतें (सीख एवं उपदेश) हैं।
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وَلَوْلَا كَلِمَةٌ سَبَقَتْ مِنْ رَّبِّكَ لَكَانَ لِزَامًا وَّاَجَلٌ مُّسَمًّی ۟ؕ
यदि (ऐ रसूल!) आपके पालनहार की ओर से पहले ही यह बात निश्चित न हो गई होती कि वह किसी को भी, उसपर तर्क स्थापित करने से पहले दंडित नहीं करेगा तथा यदि अल्लाह के यहाँ उनके लिए एक नियत समय न होता, तो शीध्र ही उन्हें यातना का शिकार बना देता, क्योंकि वे यातना के अधिकारी बन ही चुके हैं।
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فَاصْبِرْ عَلٰی مَا یَقُوْلُوْنَ وَسَبِّحْ بِحَمْدِ رَبِّكَ قَبْلَ طُلُوْعِ الشَّمْسِ وَقَبْلَ غُرُوْبِهَا ۚ— وَمِنْ اٰنَآئِ الَّیْلِ فَسَبِّحْ وَاَطْرَافَ النَّهَارِ لَعَلَّكَ تَرْضٰی ۟
(ऐ रसूल!) आपको झुठलाने वाले लोग आपके बारे में जो झूठी बातें कहते हैं, उनपर धैर्य से काम लें, तथा सूर्य उगने से पहले फज्र की नमाज़ में, और सूर्य ड़ूबने से पहले अस्र की नमाज़ में, और रात की घड़ियों में मग़रिब एवं इशा की नमाज़ में, और दिन के पहले किनारे (हिस्से) के अंत के पश्चात सूर्य के ढलने के समय ज़ुहर की नमाज़ में, और दिन के दूसरे हिस्से के अंत के बाद मग़रिब की नमाज़ में अपने पालनहार की प्रशंसा के साथ उसकी पवित्रता बयान करें; आशा है कि आपको अल्लाह के पास ऐसा सवाब (प्रतिफल) प्राप्त हो, जिससे आप प्रसन्न हो जाएँ।
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وَلَا تَمُدَّنَّ عَیْنَیْكَ اِلٰی مَا مَتَّعْنَا بِهٖۤ اَزْوَاجًا مِّنْهُمْ زَهْرَةَ الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا ۙ۬— لِنَفْتِنَهُمْ فِیْهِ ؕ— وَرِزْقُ رَبِّكَ خَیْرٌ وَّاَبْقٰی ۟
आप सांसारिक जीवन की उस शोभा की ओर न देखें, जिसे हमने इस तरह के झुठलाने वालों के लिए आनंद का उपकरण बना दिया है, जिसका वे आनंद ले रहे हैं ताकि हम उनका परीक्षण करें। क्योंकि हमने उन्हें इस प्रकार की जो चीज़ दी है, वह नश्वर है। जबकि आपके पालनहार का प्रतिफल, जिसका उसने आपसे वादा किया है, ताकि आप प्रसन्न हो जाएँ, उन नश्वर आनंद की ची़ज़ों से बेहतर और अधिक स्थायी है, जो अल्लाह ने उन्हें प्रदान की हैं। क्योंकि आपको मिलने वाला प्रतिफल कभी समाप्त न होगा।
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وَاْمُرْ اَهْلَكَ بِالصَّلٰوةِ وَاصْطَبِرْ عَلَیْهَا ؕ— لَا نَسْـَٔلُكَ رِزْقًا ؕ— نَحْنُ نَرْزُقُكَ ؕ— وَالْعَاقِبَةُ لِلتَّقْوٰی ۟
तथा (ऐ रसूल!) आप अपने परिवार को नमाज़ अदा करने का आदेश दें और आप स्वयं भी उसके अदा करने के पाबंद रहें। हम आपसे आपके लिए या किसी और के लिए आजीविका नहीं माँगते। आपकी आजीविका के उत्तरदायी भी हम ही हैं। तथा दुनिया और आख़िरत में प्रशंसनीय परिणाम तक़वा वालों के लिए है, जो अल्लाह से डरते हैं। इसलिए उसके आदेशों का पालन करते हैं और उसके निषेधों से बचते हैं।
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وَقَالُوْا لَوْلَا یَاْتِیْنَا بِاٰیَةٍ مِّنْ رَّبِّهٖ ؕ— اَوَلَمْ تَاْتِهِمْ بَیِّنَةُ مَا فِی الصُّحُفِ الْاُوْلٰی ۟
नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को झुठलाने वाले इन काफिरों ने कहा : मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अपने रब की तरफ से हमारे पास कोई ऐसी निशानी क्यों नहीं लाता, जो उसकी सत्यता और उसके संदेष्टा होने का प्रमाण बन सके? क्या इन झुठलाने वालों के पास क़ुरआन नहीं आया, जो पहली आसमानी पुस्तकों की पुष्टि करता हैॽ!
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وَلَوْ اَنَّاۤ اَهْلَكْنٰهُمْ بِعَذَابٍ مِّنْ قَبْلِهٖ لَقَالُوْا رَبَّنَا لَوْلَاۤ اَرْسَلْتَ اِلَیْنَا رَسُوْلًا فَنَتَّبِعَ اٰیٰتِكَ مِنْ قَبْلِ اَنْ نَّذِلَّ وَنَخْزٰی ۟
यदि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को झुठलाने वाले इन काफ़िरों को हम उनके कुफ़्र एवं हठ के कारण, उनकी तरफ़ कोई संदेष्टा भेजने और उनपर कोई किताब उतारने से पहले ही, उनपर कोई यातना भेजकर विनष्ट कर देते, तो वे क़ियामत के दिन अपने कुफ़्र का बहाना पेश करते हुए कहते : (ऐ हमारे पालनहार!) तूने दुनिया में हमारी ओर कोई संदेष्टा क्यों नहीं भेजा कि हम उसपर ईमान लाते और उसकी लाई हुई आयतों का पालन करते, इससे पहले कि तेरे दंड के कारण हम अपमान एवं ज़िल्लत का सामना करतेॽ!
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قُلْ كُلٌّ مُّتَرَبِّصٌ فَتَرَبَّصُوْا ۚ— فَسَتَعْلَمُوْنَ مَنْ اَصْحٰبُ الصِّرَاطِ السَّوِیِّ وَمَنِ اهْتَدٰی ۟۠
(ऐ रसूल!) आप इन झुठलाने वालों से कह दीजिए : हम और तुम में से प्रत्येक इस बात की प्रतीक्षा कर रहा है कि अल्लाह क्या करने वाला है। सो तुम प्रतीक्षा करो। तुम्हें शीघ्र ही (अनिवार्य रूप से) पता चल जाएगा कि कौन सीधे मार्ग वाले हैं और किन लोगों को मार्गदर्शन प्राप्त है : हमें अथवा तुम लोगों कोॽ
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ߟߝߊߙߌ ߟߎ߫ ߢߊ߬ߕߣߐ ߘߏ߫ ߞߐߜߍ ߣߌ߲߬ ߞߊ߲߬:
• من الأسباب المعينة على تحمل إيذاء المعرضين استثمار الأوقات الفاضلة في التسبيح بحمد الله.
• मुँह फेरने वालों की ओर से दिए गए कष्ट को सहन करने पर सहायक कारणों में से एक यह है कि आदमी अपने उत्कृष्ट समय को अल्लाह की प्रशंसा के साथ उसकी पवित्रता का गान करने में लगाए।

• ينبغي على العبد إذا رأى من نفسه طموحًا إلى زينة الدنيا وإقبالًا عليها أن يوازن بين زينتها الزائلة ونعيم الآخرة الدائم.
• जब बंदा अपने अंदर दुनिया की शोभा की ओर झुकाव महसूस करे और उसकी ओर रुझान देखे, तो उसे चाहिए कि वह दुनिया की नश्वर शोभा की आख़िरत की शाश्वत नेमत से तुलना करे।

• على العبد أن يقيم الصلاة حق الإقامة، وإذا حَزَبَهُ أمْر صلى وأَمَر أهله بالصلاة، وصبر عليهم تأسيًا بالرسول صلى الله عليه وسلم.
• बंदे पर अनिवार्य है कि वह नमाज़ को सुचारु रूप से स्थापित करे और यदि उसे कोई मामला पेश आ जाए, तो रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का अनुसरण करते हुए नमाज़ पढ़े तथा अपने परिवार को भी नमाज़ पढ़ने का आदेश दे और उनके साथ धैर्य रखे।

• العاقبة الجميلة المحمودة هي الجنة لأهل التقوى.
• तक़वा वालों के लिए अच्छा एवं प्रशंसनीय परिणाम जन्नत है।

 
ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߕ߭ߤߊ߫
ߝߐߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ ߞߐߜߍ ߝߙߍߕߍ
 
ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߟߊߘߛߏߣߍ߲" ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐߦߌߘߊ ߘߐ߫ ߤߌߣߘߌߞߊ߲ ߘߐ߫ - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ

ߡߍ߲ ߝߘߊߣߍ߲߫ ߞߎ߬ߙߊ߬ߣߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߕߌߙߌ߲ߠߌ߲ ߝߊ߲ߓߊ ߟߊ߫

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