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ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߣߛߌ߬ߡߛߏ   ߟߝߊߙߌ ߘߏ߫:
وَاقْتُلُوْهُمْ حَیْثُ ثَقِفْتُمُوْهُمْ وَاَخْرِجُوْهُمْ مِّنْ حَیْثُ اَخْرَجُوْكُمْ وَالْفِتْنَةُ اَشَدُّ مِنَ الْقَتْلِ ۚ— وَلَا تُقٰتِلُوْهُمْ عِنْدَ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِ حَتّٰی یُقٰتِلُوْكُمْ فِیْهِ ۚ— فَاِنْ قٰتَلُوْكُمْ فَاقْتُلُوْهُمْ ؕ— كَذٰلِكَ جَزَآءُ الْكٰفِرِیْنَ ۟
उन्हें जहाँ पाओ, क़त्ल करो और उन्हें उस जगह - अर्थात् मक्का - से निकाल दो, जहाँ से उन्होंने तुम्हें निकाला है। मोमिन को उसके धर्म से रोकने और उसके कुफ़्र की ओर लौटने के परिणामस्वरूप सामने आने वाला फ़ितना क़त्ल से बड़ा है। और मस्जिदे-ह़राम का सम्मान करते हुए उसके पास उनसे लड़ाई की शुरूआत न करो, यहाँ तक कि वे उसमें तुमसे लड़ना शुरू कर दें। यदि वे मस्जिदे-ह़राम में तुमसे लड़ना शुरू कर दें, तो उन्हें क़त्ल करो। इसी तरह का बदला - अर्थात् मस्जिदे-ह़राम में उनके युद्ध करने पर उन्हें क़त्ल करना - काफ़िरों का बदला है।
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فَاِنِ انْتَهَوْا فَاِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟
यदि वे तुमसे लड़ना बंद कर दें और अपने कुफ़्र से बाज़ आ जाएँ, तो उनसे हाथ उठा लो। निःसंदेह अल्लाह तौबा करने वालों को क्षमा करने वाला है, इसलिए उनके पिछले गुनाहों पर उनकी पकड़ नहीं करता। उनपर दया करने वाला है, उन्हें दंड देने में जल्दी नहीं करता।
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وَقٰتِلُوْهُمْ حَتّٰی لَا تَكُوْنَ فِتْنَةٌ وَّیَكُوْنَ الدِّیْنُ لِلّٰهِ ؕ— فَاِنِ انْتَهَوْا فَلَا عُدْوَانَ اِلَّا عَلَی الظّٰلِمِیْنَ ۟
काफ़िरों से युद्ध करो, यहाँ तक कि वे शिर्क, लोगों को अल्लाह के मार्ग से रोकने और कुफ़्र से बाज़ आ जाएँ, तथा प्रभावी धर्म अल्लाह का धर्म हो जाए। यदि वे अपने कुफ़्र तथा अल्लाह के मार्ग से रोकने से बाज़ आ जाएँ, तो उनसे लड़ाई करना छोड़ दो। क्योंकि कुफ़्र और अल्लाह के मार्ग से रोकने के द्वारा अत्याचार करने वालों के सिवा किसी पर कोई अत्याचार उचित नहीं है।
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اَلشَّهْرُ الْحَرَامُ بِالشَّهْرِ الْحَرَامِ وَالْحُرُمٰتُ قِصَاصٌ ؕ— فَمَنِ اعْتَدٰی عَلَیْكُمْ فَاعْتَدُوْا عَلَیْهِ بِمِثْلِ مَا اعْتَدٰی عَلَیْكُمْ ۪— وَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاعْلَمُوْۤا اَنَّ اللّٰهَ مَعَ الْمُتَّقِیْنَ ۟
वर्ष 7 हिजरी का हुरमत वाला महीना, जिसमें अल्लाह ने तुम्हें हरम में प्रवेश करने और उम्रा अदा करने में सक्षम किया, उस हुरमत वाले महीने के बदले है, जिसमें मुश्रिकों ने तुम्हें वर्ष 6 हिजरी में ह़रम में प्रवेश कने से रोक दिया था। सभी हुरमत वाली चीज़ों - जैसे हुरमत वाले नगर की हुरमत, हुरमत वाले महीने की हुरमत और एह़राम की हुरमत - में ज़्यादती करने वालों पर क़िसास का नियम लागू होगा। अतः जिसने भी इनमें तुमपर ज़्यादती की है, उसके साथ वैसा ही व्यवहार करो जैसा उसने किया है, और समानता की सीमा से आगे न बढ़ो। निश्चय अल्लाह अपनी सीमाओं का उल्लंघन करने वालों से प्रेम नहीं करता। तथा अल्लाह ने तुम्हें जो कुछ करने की अनुमति दी है, उससे आगे न बढ़ो, और जान लो कि अल्लाह सामर्थ्य एवं समर्थन के द्वारा उन लोगों के साथ है, जो उससे डरने वाले हैं।
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وَاَنْفِقُوْا فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ وَلَا تُلْقُوْا بِاَیْدِیْكُمْ اِلَی التَّهْلُكَةِ ۛۚ— وَاَحْسِنُوْا ۛۚ— اِنَّ اللّٰهَ یُحِبُّ الْمُحْسِنِیْنَ ۟
अल्लाह की आज्ञाकारिता के कार्यों, जैसे जिहाद आदि में धन खर्च करो, तथा अपने आपको विनाश में न डालो, इस प्रकार कि उसके रास्ते में जिहाद और खर्च करना छोड़ दो, या अपने आपको ऐसी चीज़ में डाल दो जो तुम्हारे विनाश का कारण हो। तथा अपनी इबादतों, मामलों और आचरण में अच्छा बनो। निःसंदेह अल्लाह अपने सभी मामलों में अच्छा करने वालों से प्यार करता है। इसलिए वह उनके सवाब को बढ़ा देता है और उन्हें सीधे रास्ते पर चलने का सामर्थ्य प्रदान करता है।
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وَاَتِمُّوا الْحَجَّ وَالْعُمْرَةَ لِلّٰهِ ؕ— فَاِنْ اُحْصِرْتُمْ فَمَا اسْتَیْسَرَ مِنَ الْهَدْیِ ۚ— وَلَا تَحْلِقُوْا رُءُوْسَكُمْ حَتّٰی یَبْلُغَ الْهَدْیُ مَحِلَّهٗ ؕ— فَمَنْ كَانَ مِنْكُمْ مَّرِیْضًا اَوْ بِهٖۤ اَذًی مِّنْ رَّاْسِهٖ فَفِدْیَةٌ مِّنْ صِیَامٍ اَوْ صَدَقَةٍ اَوْ نُسُكٍ ۚ— فَاِذَاۤ اَمِنْتُمْ ۥ— فَمَنْ تَمَتَّعَ بِالْعُمْرَةِ اِلَی الْحَجِّ فَمَا اسْتَیْسَرَ مِنَ الْهَدْیِ ۚ— فَمَنْ لَّمْ یَجِدْ فَصِیَامُ ثَلٰثَةِ اَیَّامٍ فِی الْحَجِّ وَسَبْعَةٍ اِذَا رَجَعْتُمْ ؕ— تِلْكَ عَشَرَةٌ كَامِلَةٌ ؕ— ذٰلِكَ لِمَنْ لَّمْ یَكُنْ اَهْلُهٗ حَاضِرِی الْمَسْجِدِ الْحَرَامِ ؕ— وَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاعْلَمُوْۤا اَنَّ اللّٰهَ شَدِیْدُ الْعِقَابِ ۟۠
अल्लाह तआला की प्रसन्नता की तलाश में, ह़ज्ज और उम्रा संपूर्ण रूप से अदा करो। यदि बीमारी या दुश्मन या इसी प्रकार के अन्य कारणों से उन्हें पूरा करने से तुम्हें रोक दिया जाए; तो तुम्हें अपने एह़राम से हलाल होने के लिए - ऊँट या गाय अथवा बकरी में से - जो भी क़ुर्बानी का जानवर उपलब्ध हो, उसे ज़बह़ करना होगा। तथा उस समय तक अपने सिर न मुँडाओ या बाल न कटाओ, जब तक क़ुर्बानी उस स्थान पर न पहुँच जाए, जहाँ उसे ज़बह करना हलाल है। यदि उसे ह़रम पहुँचने से रोक दिया जाए, तो वहीं ज़बह़ कर दिया जाए, जहाँ उसे रोक दिया गया है। यदि ह़रम से नहीं रोका गया है, तो हरम में क़ुर्बानी के दिन और उसके बाद 'तशरीक़ के दिनों' में ज़बह किया जाना चाहिए। फिर तुममें से जो व्यक्ति बीमार हो, अथवा उसके सिर के बालों में कोई तकलीफ़ हो, जैसे जूँ आदि, और इसके कारण वह अपना सिर मुँडा ले, तो उसपर कोई गुनाह नहीं है। लेकिन उसके बदले उसे फ़िदया अदा करना पड़ेगा। फ़िदया के तौर पर या तो तीन रोज़े रखे, या ह़रम के निर्धनों में से तीन निर्धनों को खाना खिलाए, या एक बकरी ज़बह करके हरम के ग़रीबों में बाँट दे। फिर यदि तुम्हें कोई भय न हो, तो तुममें से जो व्यक्ति ह़ज्ज के महीनों में उम्रा अदा करने के बाद एह़राम खोलना चाहे और उसी साल ह़ज्ज का एहराम बाँधने तक उन वस्तुओं से लाभान्वित होना चाहे, जो एह़राम की अवस्था में हराम हैं; तो जो कुछ उसके पास उपलब्ध हो उसे ज़बह करे : एक बकरी ज़बह करे अथवा एक ऊँट या गाय में सात आदमी शरीक हो जाएँ। यदि वह क़ुर्बानी न कर सके, तो उसके बदले ह़ज्ज के दिनों में तीन रोज़े रखे और सात रोज़े अपने घर वापस आने के बाद रखे, ताकि कुल दस दिन पूरे हो जाएँ। क़ुर्बानी अथवा उसकी शक्ति न होने की स्थिति में रोज़े की अनिवार्यता के साथ उम्रा का यह लाभ उठाना उस व्यक्ति के लिए है, जो ह़रम का निवासी और हरम के आस-पास रहने वाला न हो। तथा अल्लाह की शरीयत का अनुसरण करके और उसकी सीमाओं का सम्मान करके उससे डरो और जान लो कि अल्लाह अपने आदेशों का उल्लंघन करने वालों को कठोर दंड देने वाला है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
ߟߝߊߙߌ ߟߎ߫ ߢߊ߬ߕߣߐ ߘߏ߫ ߞߐߜߍ ߣߌ߲߬ ߞߊ߲߬:
• مقصود الجهاد وغايته جَعْل الحكم لله تعالى وإزالة ما يمنع الناس من سماع الحق والدخول فيه.
• जिहाद का उद्देश्य और उसका लक्ष्य निर्णय और अधिकार को सर्वशक्तिमान अल्लाह के लिए ठहराना तथा लोगों को सत्य सुनने और उसमें प्रवेश करने से रोकने वाली चीजों को हटाना है।

• ترك الجهاد والقعود عنه من أسباب هلاك الأمة؛ لأنه يؤدي إلى ضعفها وطمع العدو فيها.
• जिहाद को छोड़ देना और उससे दूर रहना, उम्मत के विनाश के कारणों में से है; क्योंकि इससे उम्मत में दुर्बलता आती है और शत्रु को उसमें लोभ पैदा होता है।

• وجوب إتمام الحج والعمرة لمن شرع فيهما، وجواز التحلل منهما بذبح هدي لمن مُنِع عن الحرم.
• ह़ज्ज तथा उम्रा शुरू करने वाले के लिए उन्हें पूरा करना अनिवार्य है तथा जिसे ह़रम से रोक दिया गया, उसके लिए क़ुर्बानी करके हलाल होना जायज़ है।

 
ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߣߛߌ߬ߡߛߏ
ߝߐߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ ߞߐߜߍ ߝߙߍߕߍ
 
ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߟߊߘߛߏߣߍ߲" ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐߦߌߘߊ ߘߐ߫ ߤߌߣߘߌߞߊ߲ ߘߐ߫ - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ

ߡߍ߲ ߝߘߊߣߍ߲߫ ߞߎ߬ߙߊ߬ߣߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߕߌߙߌ߲ߠߌ߲ ߝߊ߲ߓߊ ߟߊ߫

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