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ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߟߊߘߛߏߣߍ߲" ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐߦߌߘߊ ߘߐ߫ ߤߌߣߘߌߞߊ߲ ߘߐ߫ * - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ


ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߟߞߌߛߍ ߟߎ߬   ߟߝߊߙߌ ߘߏ߫:
اَلَّذِیْنَ كَفَرُوْا وَصَدُّوْا عَنْ سَبِیْلِ اللّٰهِ زِدْنٰهُمْ عَذَابًا فَوْقَ الْعَذَابِ بِمَا كَانُوْا یُفْسِدُوْنَ ۟
जिन लोगों ने अल्लाह का इनकार किया और दूसरों को अल्लाह के मार्ग से रोका, वे अपने कुफ़्र के कारण जिस यातना के हक़दार थे, हम (उनके स्वयं भ्रष्ट होने तथा दूसरों को गुमराह करके भ्रष्टाचार पैदा करने के कारण) उनकी यातना उससे और अधिक कर देंगे।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَیَوْمَ نَبْعَثُ فِیْ كُلِّ اُمَّةٍ شَهِیْدًا عَلَیْهِمْ مِّنْ اَنْفُسِهِمْ وَجِئْنَا بِكَ شَهِیْدًا عَلٰی هٰۤؤُلَآءِ ؕ— وَنَزَّلْنَا عَلَیْكَ الْكِتٰبَ تِبْیَانًا لِّكُلِّ شَیْءٍ وَّهُدًی وَّرَحْمَةً وَّبُشْرٰی لِلْمُسْلِمِیْنَ ۟۠
और (ऐ रसूल!) उस दिन को याद करें, जब हम हर समुदाय में एक रसूल को खड़ा करेंगे, जो उनके कुफ़्र या ईमान की गवाही देगा। यह रसूल उन्हीं के समुदाय से होगा और उन्हीं की भाषा में बात करेगा। और (ऐ रसूल!) हम आपको सभी समुदायों पर गवाह बनाकर लाएँगे। और हमने आपपर क़ुरआन को हर उस चीज़ को स्पष्ट करने के लिए उतारा है, जिसके स्पष्टीकरण की आवश्यकता है, जैसे कि हलाल एवं हराम, पुण्य एवं दंड, इत्यादि। तथा हमने उसे लोगों को सत्य का मार्ग दिखाने, उसपर ईमान लाने और उसके अनुसार कार्य करने वाले के लिए दया और अल्लाह पर ईमान रखने वालों के लिए उस स्थायी नेमत की शुभ सूचना के रूप में उतारा है, जिसकी उन्हें प्रतीक्षा है।
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اِنَّ اللّٰهَ یَاْمُرُ بِالْعَدْلِ وَالْاِحْسَانِ وَاِیْتَآئِ ذِی الْقُرْبٰی وَیَنْهٰی عَنِ الْفَحْشَآءِ وَالْمُنْكَرِ وَالْبَغْیِ ۚ— یَعِظُكُمْ لَعَلَّكُمْ تَذَكَّرُوْنَ ۟
अल्लाह अपने बंदों को न्याय का आदेश देता है कि बंदा अल्लाह के हक़ और बंदों के हक़ अदा करे और निर्णय करते समय बिना औचित्य के किसी को किसी पर वरीयता न दे। तथा वह उपकार का आदेश देता है कि बंदा अनुग्रह करते हुए ऐसे कार्य करे, जिसके लिए वह बाध्य नहीं है, जैसे कि स्वेच्छा से खर्च करना और अत्याचारी को क्षमा कर देना। और रिश्तेदारों को उनकी आवश्यकता की चीज़ें देने का आदेश देता है। और हर बुरी चीज़ से रोकता है, चाहे उसका संबंध बात से हो, जैसे- गंदी बात कहना या कार्य से, जैसे- व्यभिचार। और उससे रोकता है, जो शरीयत की नज़र में नापसंदीदा है और इसमें सारे पाप शामिल हैं। और अत्याचार तथा अहंकार से रोकता है। अल्लाह ने इस आयत में तुम्हें जिन बातों का आदेश दिया है और जिन कार्यों से रोका है, उनके निष्पादन का तुम्हें उपदेश देता है। इस उम्मीद में कि तुम उसके उपदेश पर ध्यान दो।
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وَاَوْفُوْا بِعَهْدِ اللّٰهِ اِذَا عٰهَدْتُّمْ وَلَا تَنْقُضُوا الْاَیْمَانَ بَعْدَ تَوْكِیْدِهَا وَقَدْ جَعَلْتُمُ اللّٰهَ عَلَیْكُمْ كَفِیْلًا ؕ— اِنَّ اللّٰهَ یَعْلَمُ مَا تَفْعَلُوْنَ ۟
अल्लाह या उसके बंदों को दिए हुए हर वचन को पूरा करो, और अल्लाह की क़सम खाकर क़समों को सुदृढ़ करने के बाद, उन्हें मत तोड़ो, हालाँकि तुमने अल्लाह को अपने आपपर गवाह बनाया है कि तुम अपनी क़समों को पूरा करोगे। निश्चय अल्लाह जानता है, जो कुछ तुम करते हो। उसमें से कुछ भी उससे छिपा नहीं है, और वह तुम्हें उसका बदला देगा।
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وَلَا تَكُوْنُوْا كَالَّتِیْ نَقَضَتْ غَزْلَهَا مِنْ بَعْدِ قُوَّةٍ اَنْكَاثًا ؕ— تَتَّخِذُوْنَ اَیْمَانَكُمْ دَخَلًا بَیْنَكُمْ اَنْ تَكُوْنَ اُمَّةٌ هِیَ اَرْبٰی مِنْ اُمَّةٍ ؕ— اِنَّمَا یَبْلُوْكُمُ اللّٰهُ بِهٖ ؕ— وَلَیُبَیِّنَنَّ لَكُمْ یَوْمَ الْقِیٰمَةِ مَا كُنْتُمْ فِیْهِ تَخْتَلِفُوْنَ ۟
तुम प्रतिज्ञाओं को तोड़कर उस मूर्ख स्त्री की तरह मूर्ख और अल्पबुद्धि मत बनो, जिसने पूरी मेहनत से, अच्छी तरह ऊन या सूत काता, फिर उसे उधेड़कर रख दिया। उसने सूत कातने और उसे उधेड़ने में मेहनत की, लेकिन उसे वह नहीं मिला जो वह चाहती थी। तुम अपनी क़समों को एक-दूसरे को धोखा देने का साधन बनाते हो, ताकि तुम्हारा समुदाय तुम्हारे दुश्मन के समुदाय से अधिक और मज़बूत हो जाए। वास्तव में, अल्लाह तुम्हारा प्रतिज्ञाओं की पूर्ति के साथ परीक्षण करता है कि तुम उन्हें पूरा करते हो, या उन्हें तोड़ते हो? और अल्लाह क़ियामत के दिन उन सारे मामलों को निश्चित रूप से स्पष्ट कर देगा, जिनके बारे में तुम दुनिया में मतभेद किया करते थे। चुनाँचे वह बता देगा कि कौन सत्य पर था और कौन असत्य पर, तथा कौन सच्चा था और कौन झूठा।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَلَوْ شَآءَ اللّٰهُ لَجَعَلَكُمْ اُمَّةً وَّاحِدَةً وَّلٰكِنْ یُّضِلُّ مَنْ یَّشَآءُ وَیَهْدِیْ مَنْ یَّشَآءُ ؕ— وَلَتُسْـَٔلُنَّ عَمَّا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ۟
औ अगर अल्लाह चाहता तो तुम्हें एक ही समुदाय बना देता, जो सत्य मार्ग पर चल रहा होता, मगर अल्लाह जिसे चाहता है, अपने न्याय के अनुसार सत्य से दूर कर देता है और प्रतिज्ञाओं के अनुपालन से वंचित कर देता है। और जिसे चाहता है अपनी कृपा से उसका सामर्थ्य प्रदान करता है। और क़ियामत के दिन तुमसे उसके बारे में अवश्य पूछा जाएगा, जो तुम दुनिया में किया करते थे।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
ߟߝߊߙߌ ߟߎ߫ ߢߊ߬ߕߣߐ ߘߏ߫ ߞߐߜߍ ߣߌ߲߬ ߞߊ߲߬:
• للكفار الذين يصدون عن سبيل الله عذاب مضاعف بسبب إفسادهم في الدنيا بالكفر والمعصية.
• अल्लाह की राह से रोकने वाले काफ़िरों के लिए कुफ़्र और पाप के द्वारा धरती में बिगाड़ पैदा करने के कारण कई गुना अज़ाब होगा।

• لا تخلو الأرض من أهل الصلاح والعلم، وهم أئمة الهدى خلفاء الأنبياء، والعلماء حفظة شرائع الأنبياء.
• धरती नेक और ज्ञान रखने वाले लोगों से खाली नहीं होती। वही मार्गदर्शन के इमाम, नबियों के उत्तराधिकारी हैं। तथा उलमा (विद्वान) नबियों की शरीयतों के रखवाले हैं।

• حدّدت هذه الآيات دعائم المجتمع المسلم في الحياة الخاصة والعامة للفرد والجماعة والدولة.
• इन आयतों में व्यक्ति, समूह और राज्य के निजी और सार्वजनिक जीवन में मुस्लिम समाज के स्तंभों को चिह्नित किया गया है।

• النهي عن الرشوة وأخذ الأموال على نقض العهد.
• वचन तोड़ने के बदले में घूस और धन लेने की मनाही।

 
ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߟߞߌߛߍ ߟߎ߬
ߝߐߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ ߞߐߜߍ ߝߙߍߕߍ
 
ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߟߊߘߛߏߣߍ߲" ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐߦߌߘߊ ߘߐ߫ ߤߌߣߘߌߞߊ߲ ߘߐ߫ - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ

ߡߍ߲ ߝߘߊߣߍ߲߫ ߞߎ߬ߙߊ߬ߣߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߕߌߙߌ߲ߠߌ߲ ߝߊ߲ߓߊ ߟߊ߫

ߘߊߕߎ߲߯ߠߌ߲