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വിശുദ്ധ ഖുർആൻ പരിഭാഷ - ഖുർആൻ സംക്ഷിപ്ത വിശദീകരണം - പരിഭാഷ (ഹിന്ദി) * - വിവർത്തനങ്ങളുടെ സൂചിക


പരിഭാഷ അദ്ധ്യായം: ത്തൗബഃ   ആയത്ത്:
اِسْتَغْفِرْ لَهُمْ اَوْ لَا تَسْتَغْفِرْ لَهُمْ ؕ— اِنْ تَسْتَغْفِرْ لَهُمْ سَبْعِیْنَ مَرَّةً فَلَنْ یَّغْفِرَ اللّٰهُ لَهُمْ ؕ— ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ كَفَرُوْا بِاللّٰهِ وَرَسُوْلِهٖ ؕ— وَاللّٰهُ لَا یَهْدِی الْقَوْمَ الْفٰسِقِیْنَ ۟۠
(ऐ रसूल!) आप उनके लिए क्षमा याचना करें अथवा न करें। यदि आप उनके लिए सत्तर बार भी क्षमा याचना करें, तो यह अपनी बहुतायत के बावजूद उनके लिए अल्लाह की क्षमा की प्राप्ति तक कभी नहीं पहुँचाएगी। क्योंकि वे अल्लाह और उसके रसूल का इनकार करने वाले हैं और अल्लाह जान बूझकर अपनी शरीयत के दायरे से निकल जाने वालों को सत्य की तौफ़ीक़ नहीं देता।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
فَرِحَ الْمُخَلَّفُوْنَ بِمَقْعَدِهِمْ خِلٰفَ رَسُوْلِ اللّٰهِ وَكَرِهُوْۤا اَنْ یُّجَاهِدُوْا بِاَمْوَالِهِمْ وَاَنْفُسِهِمْ فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ وَقَالُوْا لَا تَنْفِرُوْا فِی الْحَرِّ ؕ— قُلْ نَارُ جَهَنَّمَ اَشَدُّ حَرًّا ؕ— لَوْ كَانُوْا یَفْقَهُوْنَ ۟
तबूक के युद्ध से पीछे छोड़ दिए गए मुनाफ़िक़, अल्लाह के रसूल के आदेश का उल्लंघन करते हुए, अल्लाह के मार्ग में जिहाद से अपने बैठ रहने पर प्रसन्न हुए, तथा उन्होंने अपने धन एवं प्राण के साथ अल्लाह के मार्ग में मोमिनों की तरह जिहाद करने को नापसंंद किया, और अपने मुनाफ़िक़ भाइयों को हतोत्साहित करते हुए कहा : इस गर्मी में न निकलो। क्योंकि तबूक का युद्ध सख़्त गर्मी के दिनों में हुआ था। (ऐ रसूल!) आप उनसे कह दें : जहन्नम की आग, जो मुनाफ़िक़ों की प्रतीक्षा कर रही है, इस गर्मी से कहीं ज़्यादा गर्म है, जिससे वे भागे हैं, यदि वे जानते होते।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
فَلْیَضْحَكُوْا قَلِیْلًا وَّلْیَبْكُوْا كَثِیْرًا ۚ— جَزَآءً بِمَا كَانُوْا یَكْسِبُوْنَ ۟
अतः जिहाद से पीछे रहने वाले इन मुनाफ़िक़ों को अपने नश्वर सांसारिक जीवन में थोड़ा हँसना चाहिए और उन्हें अपने बाक़ी रहने वाले आखिरत के जीवन में बहुत ज़्यादा रोना चाहिए। यह उस कुफ़्र, पाप और अवज्ञा का बदला है, जो उन्होंने दुनिया में कमाया है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
فَاِنْ رَّجَعَكَ اللّٰهُ اِلٰی طَآىِٕفَةٍ مِّنْهُمْ فَاسْتَاْذَنُوْكَ لِلْخُرُوْجِ فَقُلْ لَّنْ تَخْرُجُوْا مَعِیَ اَبَدًا وَّلَنْ تُقَاتِلُوْا مَعِیَ عَدُوًّا ؕ— اِنَّكُمْ رَضِیْتُمْ بِالْقُعُوْدِ اَوَّلَ مَرَّةٍ فَاقْعُدُوْا مَعَ الْخٰلِفِیْنَ ۟
तो (ऐ नबी!) यदि अल्लाह आपको इन मुनाफ़िक़ों के किसी समूह की ओर वापस लाए, जो अपने निफ़ाक़ पर क़ायम हो। फिर वह आपके साथ किसी अन्य युद्ध में निकलने की अनुमति माँगे, तो आप उनसे कह दें : (ऐ मुनाफ़िक़ो!) तुम मेरे साथ अल्लाह की राह में जिहाद के लिए कभी नहीं निकलोगे। यह तुम्हारे लिए एक सज़ा के तौर पर और तुम्हारे मेरे साथ मौजूद होने से निष्कर्षित होने वाली बुराइयों से बचाव के रूप में है। तुम तबूक के युद्ध में पीछे बैठ रहने पर खुश थे, इसलिए पीछे रहने वाले बीमारों, स्त्रियों और बच्चों के साथ बैठे रहो।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَلَا تُصَلِّ عَلٰۤی اَحَدٍ مِّنْهُمْ مَّاتَ اَبَدًا وَّلَا تَقُمْ عَلٰی قَبْرِهٖ ؕ— اِنَّهُمْ كَفَرُوْا بِاللّٰهِ وَرَسُوْلِهٖ وَمَاتُوْا وَهُمْ فٰسِقُوْنَ ۟
इन मुनाफ़िक़ों में से कोई मर जाए, तो (ऐ रसूल!) आप उसका कभी जनाज़ा न पढ़ना और न उसकी क़ब्र पर उसकी क्षमा की प्रार्थना के लिए खड़े होना। क्योंकि उन्होंने अल्लाह और उसके रसूल के साथ कुफ़्र किया है और अल्लाह की अवज्ञा करते हुए मरे हैं। और जो कोई ऐसा हो, उसका न तो जनाज़ा पढ़ा जाएगा और न उसके लिए दुआ की जाएगी।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَلَا تُعْجِبْكَ اَمْوَالُهُمْ وَاَوْلَادُهُمْ ؕ— اِنَّمَا یُرِیْدُ اللّٰهُ اَنْ یُّعَذِّبَهُمْ بِهَا فِی الدُّنْیَا وَتَزْهَقَ اَنْفُسُهُمْ وَهُمْ كٰفِرُوْنَ ۟
और (ऐ रसूल!) आपको इन मुनाफ़िक़ों के धन तथा उनकी संतान आश्चर्यचकित न करें। अल्लाह तो यह चाहता है कि उन्हें इनके द्वारा सांसारिक जीवन में यातना दे, क्योंकि वे इस रास्ते में आने वाली कठिनाइयों और विपत्तियों को झेलते हैं, और यह कि उनके प्राण उनके शरीर से इस दशा में निकलें कि वे काफ़िर हों।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاِذَاۤ اُنْزِلَتْ سُوْرَةٌ اَنْ اٰمِنُوْا بِاللّٰهِ وَجَاهِدُوْا مَعَ رَسُوْلِهِ اسْتَاْذَنَكَ اُولُوا الطَّوْلِ مِنْهُمْ وَقَالُوْا ذَرْنَا نَكُنْ مَّعَ الْقٰعِدِیْنَ ۟
तथा जब अल्लाह अपने नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर कोई सूरत उतारता है, जिसमें अल्लाह पर ईमान लाने तथा उसके रास्ते में जिहाद करने का आदेश होता है, तो उन मुनाफ़िक़ों में से धनवान लोग आपसे पीछे रहने की अनुमति माँगते हैं और कहते हैं : आप हमें छोड़ दें कि हम कमज़ोरों और अपाहिजों जैसे बहाने वाले लोगों के साथ पीछे रह जाएँ।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• الكافر لا ينفعه الاستغفار ولا العمل ما دام كافرًا.
• काफ़िर, जब तक काफिर है, उसे क्षमा याचना और सत्कर्म से कोई लाभ नहीं होने वाला है।

• الآيات تدل على قصر نظر الإنسان، فهو ينظر غالبًا إلى الحال والواقع الذي هو فيه، ولا ينظر إلى المستقبل وما يتَمَخَّض عنه من أحداث.
• ये आयतें मनुष्य की अदूरदर्शिता का संकेत देती हैं। वह आम तौर से वर्तमान और उस वस्तुस्थिति को देखता है जिसमें वह है। वह भविष्य और उसकी कोख से निकलने वाली घटनाओं को नहीं देखता है।

• التهاون بالطاعة إذا حضر وقتها سبب لعقوبة الله وتثبيطه للعبد عن فعلها وفضلها.
• आज्ञाकारिता में उसका समय होने पर लापरवाही करना, अल्लाह की सज़ा तथा बंदे को उसके करने के सामर्थ्य और उसकी फ़ज़ीलत से वंचित करने का कारण है।

• في الآيات دليل على مشروعية الصلاة على المؤمنين، وزيارة قبورهم والدعاء لهم بعد موتهم، كما كان النبي صلى الله عليه وسلم يفعل ذلك في المؤمنين.
• ये आयतें इस बात का प्रमाण हैं कि ईमान वालों के जनाज़े की नमाज़ पढ़ी जाएगी, उनकी कब्रों की ज़ियारत की जाएगी और उनके मरने के बाद उनके लिए दुआ की जाएगी, जैसा कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम मोमिनों के साथ किया करते थे।

 
പരിഭാഷ അദ്ധ്യായം: ത്തൗബഃ
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വിശുദ്ധ ഖുർആൻ പരിഭാഷ - ഖുർആൻ സംക്ഷിപ്ത വിശദീകരണം - പരിഭാഷ (ഹിന്ദി) - വിവർത്തനങ്ങളുടെ സൂചിക

മർക്കസ് തഫ്സീർ പ്രസിദ്ധീകരിച്ചത്.

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